माँ का दिल आखिर माँ का ही दिल ही होता है। तब चाहे वो उसके खुद का बच्चा न हो लेकिन माँ का दिल पसीज ही जाता है। इसकी असल मायने में मिसाल पेश की है। चमोली जिले के देवाल विकास खंड के वाण गांव की धामती देवी ने ऐसा कार्य किया है जिसकी सब तारीफ कर रहे है। दरअसल, धामती देवी को जंगल में एक घायल हिरन का नवजात बच्चा मिला। जिसे वह उपचार के लिए अपने घर ले आई। अब उसकी देखभार कर रहीं हैं।
वाण गांव की धामती देवी जंगल में चारापत्ती लेने के लिए गई हुई थी, जहां उन्हें घायल अवस्था में हिरन का एक छोटा बच्चा मिला, जो दर्द से कराह रहा था। घायल हिरन को देखकर धामती देवी की ममता पसीज गयी और वो चारापत्ती को छोड़कर हिरन के बच्चे को घर ले आई। धामती देवी ने घर लेकर मृग के बच्चे को चम्मच से दूध पिलाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं पी पाया। जिसके बाद धामती देवी बताती है की वो बाज़ार से दूध पिलाने की बोतल ले आई और उस बोतल से दूध पिलाया।
पशु चिकित्सालय में कराया उपचार
इस घटना की जानकारी धामती देवी ने सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढवाली को दी, जिन्होने वन विभाग को सूचित किया और हिरन के बच्चे को निकटवर्ती पशु चिकित्सालय वाण ले गए। पशु चिकित्सालय वाण में पशु चिकित्सा फार्मासिस्ट मनीष कुमार पांडेय द्वारा घायल हिरन के बच्चे का उपचार किया गया।
वन विभाग ने धामती देवी को सराहा
वन विभाग के वन दरोगा गबर सिंह बिष्ट ने भी धामती देवी की तारीफ कर कहा कि धामती देवी ने मानवता की मिसाल पेश की है। सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढ़वाली ने भी महिला कि तारीफ कर कहा की आज के युग में धामती देवी जैसी महिलाएं भी हैं। जिन्होनें एक बेजुबान जानवर की जान बचा कर लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है।
विलुप्ति की कगार पर है इस मृग की प्रजाति
आपको बता दें कि हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले यह मृग की प्रजाति धीरे धीरे लुप्त होने के कगार पर है और ऐसे में एक धामती देवी ने इसे बचा कर मानवता की मिसाल पेश की है। महिला ने कहा कि वह इस बच्चे को तब तक पालना चाहती है जब तक कि वह जंगल में खुद का भोजन करने और बचाव करने लायक नहीं बन जाता है। हालांकि वन विभाग की और से इसे लेकर अभी कोई जवाब नहीं दिया गया है। लेकिन धामती देवी ने जो किया है वो वाकई काबिले तारीफ़ है।