प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू किए जाने के लिए गठित कमेटी युद्ध स्तर पर काम कर रही है। ड्राफ्ट तैयार करने से पहले विशेषज्ञ समिति की ओर से देहरादून में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जनसंवाद के दौरान लिव इन रिलेशनशिप, समलैंगिकता, महिलाओं के अधिकार, विवाह, तलाक जैसे मुद्दे छाए रहे।
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चार घंटे तक चला जनसंवाद
बता दें बुधवार को सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी ऑडिटोरियम में जनसंवाद आयोजन किया गया था। करीब चार घंटे तक जनसंवाद चला। जानकारी के अनुसार समिति की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने कहा कि सभी सुझावों पर विचार कर ही ड्राफ्ट को तैयार किया जाएगा।
जनसंवाद के दौरान कमेटी के सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ भीमराव बाबा साहेब आंबेडकर और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी देश में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। लेकिन तब इसमें दो मत निकलकर सामने आए थे। हिंदू पक्ष चाहता था कि देश में यूसीसी लागू हो। जबकि मुस्लिम पक्ष का मानना था कि यूसीसी को लागू करने का यह सही समय नहीं है। इसके बाद देश में कई नए कानून बने। कई कानूनों में बदलाव भी किए गए। लेकिन यूसीसी ठंडे बस्ते से बाहर नहीं निकल पाया।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा
शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने सबसे पहले यह पहल की है। इसके लिए सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मौजूदा कानून में संशोधन के साथ ड्राफ्ट तैयार किया जाना है। इसके लिए जन संवाद के माध्यम से लोगाें के भी विचार मांगे गए हैं। जनसंवाद में अधीकांश लोगों ने यूसीसी का समर्थन किया। लिव इन रिलेशनशिप, समलैंगिकता, संपत्ति का अधिकार, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार से संबंधित कानून और विरासत पर अपने सुझाव दिए।
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जनसंवाद के दौरान कराई गई वीडियोग्राफी
समिति की तरफ से हर नागरिक की ओर से सामने आए विचारों को नोट करने के साथ साथ वीडियोग्राफी भी कराई गई। करीब साढ़े तीन सौ लोगों ने अपने विचार सांझा किए। इस दौरान समिति की अध्यक्ष रंजना देसाई ने कहा कि कोशिश रहेगी कि 30 जून तक समिति ड्राफ्ट को तैयार कर सरकार को सौंप दे।