चमोली– सरकार बेशक बदली लेकिन सरकारी कारिंदों के काम करने का तरीका नहीं बदला। भूस्खलन स चमोली जिले में ऐतिहासिक और धार्मिक वेदनी बुग्याल में मौजूद वेदनी कुंड का वजूद खतरे में हैं। लेकिन जंगलात महकमे की संवेदनाएं अब तक ठंडी पड़ी हुई हैं। जबकि सरकार पर्यटन और तीर्थ पर्यटन में रोज नए ख्वाब देख रही है।
बारिश के दौरान हुए भूस्खलन से वेदिनी कुंड को काफी नुकसान पहुंचा है। कुंड की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और पानी रिसने से इसका जलस्तर लगातार कमी आ रही है। बावजूद इसके वन विभाग ने भूस्खलन रोकने के लिए फुर्ती नहीं दिखाई। महकमें का यकीन किया जाए तो नुकसान का आकलन रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। हालांकि रिपोर्ट का हुआ क्या है इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
गौरतलब है कि नंदा देवी और त्रिशूली पर्वत श्रंखलाओं के बीच वाण गांव से 13 किमी की दूरी पर स्थित वेदनी बुग्याल (मखमली घास का मैदान) समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसी बुग्याल के बीच 15 मीटर व्यास में फैला है खूबसूरत वेदनी कुंड। इसी कुंड में 12 साल बाद आयोजित होने वाली ऐतिहासिक श्री नंदा देवी राजजात की प्रथम पूजा होती है।
लेकिन, भूस्खलन के चलते बीते दो वर्ष से कुंड का पानी लगातार रिसने से इसका आकार सिकुड़ता जा रहा है। पिछली साल बरसात में वेदिनी कुंड के हालात के बारे में इलाके के लोगों ने इसकी सूचना वन व पर्यटन विभाग को भी दी थी, लेकिन अब तक इसके रखरखाव को कोई सार्थक पहल नहीं हुई। जबकि सूबे की ऐतिहासिक नंदा राजजात यात्रा में वेदनी बुग्याल एक अहम पड़ाव है और वेदिनी कुंड पर देश दुनिया के श्रद्धालुओँ की अथाह आस्था।
बताया जा रहा है कि, लाटू मंदिर समिति वाण की संयोजक कृष्णा बिष्ट, ग्राम प्रधान खीमराम व हीरा पहाड़ी ने भी बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ को पत्र भेजा है। इसमें उल्लेख है कि कुंड के चारों ओर वर्षाकाल के दौरान भूस्खलन होने से कुंड लगातार रिस रहा है। जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कुंड अपना अस्तित्व खो बैठेगा।
उधर, वन क्षेत्राधिकारी देवाल त्रिलोक सिंह बिष्ट ने भी माना कि वेदनी कुंड के लिए भूस्खलन खतरा बना हुआ है। इसे रोकने के लिए 50 लाख आगणन डीएफओ बदरीनाथ को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही सुरक्षा कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।