हैदराबाद से लगे कस्बाई गांव में रहने वाले गुरनैया सीमेंट की फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके दो बच्चों में सबसे बड़े बेटे बर्नाना यादगिरी बचपन से प्रतिभा के धनी थी।
सरकारी स्कूल में आर्थिक तंगी के बीच बर्नाना की पढ़ाई हुई। इंटरमीडिएट में बेहतर अंक प्राप्त करने के बाद स्कॉलरशिप मिली तो हालात कुछ अनुकूल हुए। इसके बाद ट्रिपल आइटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। जॉब के लिए कॉरपोरेट सेक्टर से कई ऑफर आए और अमेरिका जाने का भी मौका था। मगर, सारे अवसर ठुकरा कर फौज की राह चुनी। आइएमए में ट्रेनिंग के दौरान कड़ी मेहनत कर वह अपने नाम टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में सिल्वर मेडल दर्ज करा गए।
इसके अलावा ट्रेनिंग के दौरान हुई कई एक्टिविटी में भी बेहतर प्रदर्शन किया। बर्नाना कहते हैं कि आर्थिक तंगी व तमाम चुनौतियों से जूझने के बाद उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है। उसके पीछे उनके पिता गुरनैया की मेहनत है। उन्होंने गरीबी और आर्थिक तंगी से पढ़ाई पूरी न करने और सपने पूरे न कर पाने वालों को संदेश दिया कि कड़ी मेहनत और लगन उनको सफलता पाने से नहीं रोक सकती।