प्रदेश में भारी बारिश का कहर जारी है। इसी बीच कोटद्वार से बड़ी खबर सामने आ रही है। मालन नदी पर बना पुल देखते ही देखते धवस्त हो गया। भारी बारिश को पुल के टूटने का कारण बताया जा रहा है जबकि हकीकत तो कुछ और ही है।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा मालन नदी का पुल
भारी बारिश को कोटद्वार के मालन नदी पर बने पुल के टूटने के कारण बताया जा रहा है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। दरअसल मालन नदी पर बना पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है। इसको लेकर एक साल पहले ही कई लोगों ने आगाह भी किया था। लेकिन इस पर कोई कड़े कदम नहीं उठाए गए। जिसका परिणाम आज सामने है।
मालन नदी में बना पुल साल 2010 में बनाया गया था। लेकिन मात्र 13 साल में ही ये पुल टूट गया। जिससे कई सवाल उठ रहे हैं। करोड़ों की लागत से बने इस पुल का सिर्फ 13 सालों में ही ढह जाना भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है?
विस अध्यक्ष ने एक साल पहले दिए थे पुल के ट्रीटमेंट के निर्देश
मालन नदी पर बने पुल का हाल किसी से छिपा नहीं था। एक साल पहले जब विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कोटद्वार विधान सभा से पर्चा दाखिल किया था तो उन्होंने ये बात संज्ञान में भी ली थी। उन्होंने अधिकारियों को इसके ट्रीटमेंट के निर्देश भी दिये थे।
लेकिन उनके निर्देश देने के बाद भी अधिकारियों की कान में जूं तक नहीं रेंगी। ना तो इस पुल का ट्रीटमेंट कराया गया और ना ही यहां हो रहा अवैध खनन रूका। कार्रवाई के नाम पर कई बार छापा मार अवैध खनन पकड़ा तो गया लेकिन उसके बाद भी यहां पर अवैध खनन धड़ल्ले से चलता रहा।
क्या अधिकारियों, खनन माफ़िया की भेंट चढ़ा पुल ?
एक साल पहले ही कई लोगों ने मालन नदी पर बने पुल के लिए आवाज उठाई थी। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आज मालन नदी का पुल ध्वस्त होने के बाद लोग सोशल मीडिया पर एक बार फिर इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे मालन नदी का पुल आख़िर खनन माफ़िया व घूसखोर अधिकारियों राजनेताओं की भेंट चढ़ गया। सोशल मीडिया पर मुद्दे को लेकर चर्चाओं के बाजार गर्म हैं।
लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आज कहाँ गई वह संस्था जिसे कण्वाश्रम में बनने जा रही आठ करोड़ की लागत की झील व पर्यटन विकास में एनजीटी का उलंघन तो दिखा। लेकिन लगातार मालन नदी का सीना चीरते खनन माफ़ियों के भारी भरकम बुलडोज़र नहीं दिखे।
भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ा पुल बल्कि उसने आत्महत्या की है
सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह से इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ का कहना है कि पुल भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ा है। बल्कि उसने तो आत्महत्या की है। जबकि कुछ लोग सीधे पुलिस और प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
किसकी शह में भू-माफिया बेखौफ
यहां सवाल उठता है कि जब एक साल पहले ही पुल को लेकर चेतावनी दी जा चुकी थी, खुद विस अध्यक्ष ने इसके ट्रीटमेंट के आदेश दिए थे। तो आखिर अधिकारियों ने इस पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
अधिकारियों की इस मामले में उदासीनता ये साफ कर देता है कि भ्रष्टाचार की भेंट ही चढ़ा था। लगातार हो रहे खनन को क्यों नहीं रोका गया ? भू-माफियाओं को किसकी शह मिली हुई थी। कि इन पर कार्रवाई नहीं की गई।
एक तरफ तो सीएम धामी अवैध खनन पर सख्त हैं और दूसरी तरफ प्रशासन की नाक के नीचे सालों से मालन नदी पर हो रहा अवैध खनन सवाल तो कई उठाता है। लेकिन अब देखना ये होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है ? इसके साथ ही ये भी देखना होगा कि कोई औऱ पुल तो भ्रष्टाचार और खनन माफ़ियों की भेंट तो नहीं चढ़ रहा।