उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में फेल या कम अंक पाने वाले छात्रों को मायूस होने की जरूरत नहीं है। ऐसे छात्रों को अब सुधार का एक और मौका दिया जाएगा। सरकार फेल होने वाले छात्रों को एक और मौका देने जा रही है। दो विषयों में फेल छात्र-छात्राओं के साथ ही अब पास छात्रों को भी अंक सुधार का मौका मिलेगा।
- Advertisement -
फेल होने या कम नंबर आने पर छात्र ना हो मायूस
उत्तराखंड में छात्रों को कम नंबर आने या फेल होने पर मायूस होने की जरूरत नहीं है। सरकार अधिकतम दो विषयों में फेल छात्र-छात्राओं को एक और मौका देगी। इसके साथ ही परीक्षा में पास हुए छात्रों को भी अंक सुधार का मौका मिलेगा। यानि अगर किसी पास हुए छात्र के कम नंबर आते हैं तो वह उनमें सुधार कर सकता है।
अब मिलेगा अंक सुधारने का एक और मौका
फेल हुए छात्रों और कम नंबर से मायूस हुए छात्रों को अंक सुधारने के लिए एक और मौका देने के लिए सरकार कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है। हर साल उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में ढाई लाख छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं। जिसमें से 50 हजार छात्र फेल हो जाते हैं।
फेल हुए छात्र ज्यादातर एक या दो विषयों में फेल होते हैं। एक बार परीक्षा में फेल होने के बाद छात्र-छात्राओं को उसी साल फिर से परीक्षा देने का मौका नहीं मिलता है। लेकिन अब ऐसे छात्रों के लिए राज्य सरकार एक और मौका लेकर आ रही है। सरकार ऐसे छात्रों को एक और मौका देने जा रही है।
- Advertisement -
छात्रों का साल खराब न हो इसलिए सरकार उठा रही ये कदम
शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत के मुताबिक राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्याें की तुलना में अलग है। प्रदेश में बहुत से छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो कि खेतों में काम करने के बाद परीक्षा देने पहुंचते हैं। इसके साथ ही अचानक स्वास्थ्य खराब होने के कारण कई छात्र-छात्राएं ठीक से परीक्षा नहीं दे पाते हैं।
ऐसे में उन्हें एक और मौका दिया जाना चाहिए। ऐसे छात्रों का साल खराब न हो इसलिए सरकार यह कदम उठा रही है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक फेल छात्र-छात्राओं के साथ ही उन छात्र-छात्राओं को भी अंक सुधार का मौका दिया जाएगा जिनके अंक कम हैं।
यूपी के समय थी ऐसी व्यवस्था अब फिर होगी शुरू
शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने एस व्यवस्था के बारे में बताया कि जब उत्तराखंड यूपी में ही था तो तब फेल छात्रों के लिए यही व्यवस्था थी। लेकिन उत्तराखंड में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब फिर से प्रदेश में इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है। ताकि छात्र-छात्राओं का साल बरबाद ना हो।