National : 'स्पेस में होगी फसलों की खेती!, जानें अंतरिक्ष में Shubhanshu Shukla ISRO के कौन-कौन से प्रयोग करेंगे? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

‘स्पेस में होगी फसलों की खेती!, जानें अंतरिक्ष में Shubhanshu Shukla ISRO के कौन-कौन से प्रयोग करेंगे?

Uma Kothari
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Shubhanshu Shukla Axiom-4 ISRO Experiments: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने बीते दिन अंतरिक्ष के उड़ान भरी थी। शुभांशु Axiom-4 मिशन के तहत तीन विदेश अंतरिक्ष यात्रियों के साथ ISS पर गए हैं। ऐसे में 14 दिनों तक इंटरनेशन स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहकर वो कई तरह के प्रयोग करेंगे।

बता दें कि ये मिशन आठ बार तकनीकी खामियों की वजह से टल चुका है। जिसके बाद फाइनली 25 जून को इस मिशन को लॉन्च किया गया। ऐसे में अब सबकी नजर इस मिशन के सफलता पर टिकी है। अब चूकी वो अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं तो चलिए जानते है कि मिशन के तहत ISRO अंतरिक्ष में क्या-क्या प्रयास करेगा।

Shubhanshu Shukla Axiom-4 ISRO Experiments: स्पेस में सायनोबैक्टीरिया की स्टडी

  • इस प्रयोग में ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से दो टाइप के सायनोबैक्टीरिया की ग्रोथ और व्यवहार की स्टडी की जाएगी।
  • इस स्टडी में इनके Photosynthesis की क्षमता और लचीलेपन को अनेलाइज किया जाएगा। ये आगे चलकर फ्यूचर में चांद या फिर मंगल पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम के लिए मददगार हो सकता है।

माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की सेहत पर असर

  • जब कोई लंबे समय तक स्पेस में रहता है, तो उसकी मसल्स कमजोर होने लगती हैं। इस प्रयोग का मकसद है ये जानना कि ऐसा क्यों होता है? और इसे रोका कैसे जा सकता है?
  • ये रिसर्च न सिर्फ एस्ट्रोनॉट्स के लिए बल्कि बुजुर्गों के मसल लॉस जैसे हेल्थ प्रॉब्लम में भी फायदेमंद हो सकता है।

स्पेस में खेती की तैयारी

केरल कृषि विश्वविद्यालय की टीम 6 अलग-अलग फसल बीजों को अंतरिक्ष में भेजा है। इसमें ये देखा जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी और विकिरण जैसे हालात में ये बीज कैसे रिएक्ट करते हैं। इससे भविष्य में स्पेस फार्मिंग का रास्ता साफ हो सकता है।

माइक्रोएल्गी पर स्पेस का असर

भारत के ICGEB और NIPGR संस्थानों द्वारा ये प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रयोग में ये जांचेगा कि स्पेस के हालात जैसे कम गुरुत्वाकर्षण और रेडिएशन खाने योग्य माइक्रोएल्गी (शैवाल) पर क्या असर डालते हैं। माइक्रोएल्गी भविष्य में स्पेस डाइट का अहम हिस्सा बन सकते हैं।

मांसपेशियों को दोबारा मजबूत करने की कोशिश

InStem नामक संस्था यह स्टडी करेगी कि माइक्रोग्रैविटी में कुछ खास तरह के सप्लीमेंट्स मसल्स को फिर से मजबूत करने में कैसे मदद कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बल्कि मेडिकल साइंस में भी हो सकता है।

बीजों का स्पेस में अंकुरण

धारवाड़ की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और IIT धारवाड़ की टीम मूंग और मेथी के बीजों को स्पेस में उगाने की कोशिश करेगी। ये दोनों न केवल पोषण से भरपूर हैं, बल्कि इनके औषधीय गुण भी अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए अहम साबित हो सकते हैं।

टार्डिग्रेड्स की टफनेस की जांच

टार्डिग्रेड्स यानी जल भालू जैसे माइक्रोऑर्गेनिज़्म को उनकी असाधारण सर्वाइवल स्किल के लिए जाना जाता है। इस प्रयोग में देखा जाएगा कि ये सूक्ष्म जीव स्पेस जैसी परिस्थितियों में कैसे जीवित रहते हैं, प्रजनन करते हैं और खुद को दोबारा कैसे तैयार करते हैं।

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