उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सात दिन से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन कोई भी कामयाबी अभी हाथ नहीं लग पाई है। स्थानीय लोग इस हादसे को लगातार बौखनाथ का प्रकोप बता रहे थे। जिसके बाद कार्यदायी कंपनी द्वारा सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित कर दिया है।
टनल में फंसे लोगों के लिए अब भगवान का सहारा
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुए टनल हादसे को स्थानीय लोग लगातार दैवीय प्रकोप बता रहे थे। लोगों का कहना था कि मंदिर हटाने के कारण ये हादसा हुआ है। लेकिन कंपनी इसे मानने को तैयार नहीं थी। लेकिन आज शनिवार को कंपनी द्वारा टनल के बाहर से मलबा हटाकर एक छोटा सा मंदिर स्थापित कर दिया गया है।
नाग देवता का प्रकोप टनल हादसा
ग्रामीणों का कहना है कि टनल के ठीक ऊपर बासुकी नागदेवता और ऊपर पहाड़ी पर बौखनाग देवता का मन्दिर है।बौखनाग के बारे में मान्यता है कि कोई भी कार्य करने से पहले इनके मंदिर में श्रीफल जरूर चढ़ाते हैं। यानी कि काम करने से पहले देवता की अनुमति लेनी जरूरी है वरना कार्य में बाधा उत्पन होती है। इसी मान्यता के आधार पर यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है कि कंपनी प्रशासन ने भगवान बौखनाग की अनदेखी की है। मजदूरों ने भी इसी बात को दोहराया था।
दुर्घटना के तीन दिन पहले ही हटाया गया था मंदिर
मजदूरों की मांग को देखते हुए यहां पर एक मंदिर बनाया गया था। लोगों का कहना है कि दुर्घटना के तीन दिन पहले ही टनल के बाहर खुदाई कर वहां मदिंर हटा दिया गया। जिसके कारण देवता के प्रकोप से ये हादसा हो गया। लोगों का मानना है कि ये देवता का ही आशीर्वाद है कि टनल मे फंसे मजदूरों की लाइफलाइन पानी का पाइप जिसके द्वारा उन्हें आक्सीजन भोजन एवं दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। वरना इतना बड़ा भूस्खलन होने के बाद भी पाइप और मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें आंच तक नहीं आई।