किच्छा – {मोहम्मद यासीन} पिछले दोनों विधानसभा चुनाव में हुयी करारी हार से भी कांग्रेस ने सबक नहीं सीखा। नगर पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी चयन करने में पार्टी के बड़े नेताओं के पसीने छूट रहे थे। अंदरखाने पार्टी नेताओं में खींचतान कर ऐसे व्यक्ति को बिठाने की कोशिश हो रही है जो पिछले दोनों चुनाव के दाग धो पाये। केंद्रीय नेताओं के साथ लॉबिंग में भी इसी रणनीति पर अमल किया गया.
लेकिन वास्तव में दोनों बड़ी पार्टियों ने पालिकाध्यक्ष पद प्रत्याशी की घोषणा तो कर दी पर टिकट कटने से पैदा हुये असंतोष को खत्म करने में दोनों बड़ी पार्टियां और उनके हैवीवेट दिग्गज नेता पूरी तरह फेल साबित हुए हैं। नाराज पदाधिकारियों ने इन दिग्गज नेताओं की नेतागिरी को धूल चटाने के पूरी तैयारी कर रखी है, दोनों बड़ी पार्टियां अब तक अपने बागी और नाराज साथियों के मान मनौब्बल कर हार मान कर हाथ बांध के बैठ गये हैं.पार्टी दिग्गजों के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है।
राज्य में चुनावों में शर्मनाक हार के बाद भी कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। परंतु इसी गुटबाजी के चलते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकार में भ्रष्टाचार के चरम पर रहने के आरोप लग रहे हैं। चाहे प्रशासनिक पदों पर तैनाती की बात हो या खनन से लेकर शराब नीति।
वहीं नगर में नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी दोनो बड़ी पार्टियों के लिये मुश्किलें बढ़ाती जा रही है। किच्छा निकाय चुनाव में असन्तुष्टों ने हैवीवेट दिग्गज नेताओं के पसीने छुटा दिये हैं। गुटबाजी के चलते स्थानीय स्तर के कई छोटे बड़े नेता चुनाव मैदान से गायब हैं. कांग्रेस महिला मोर्चा की एक टीम चुनाव से गायब है। प्रत्याशियों के साथ घूमने वाले कुछ नेता भी बुझे मन से भाजपा और कांग्रेस की टीम के साथ भीतरघात करने में डटे हैं।
ऐसे में भाजपा व कांग्रेस के लिए इस चुनावी वैतरणी को पार कर पाना आसान नहीं होगा। नगर में चल रही चर्चाओं में जनता जनार्दन के बीच आशंका जताई जा रही है कि यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस का पंजा हाथ जोड़ता ही रह जायेगा और भाजपा का कमल खिलने से पहले ही मुरझा जायेगा। जबकि निर्दलीय बाजी पलटने में देर नही लगायेंगे।