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टाइगर सफारी मामले में एनजीटी की कमेटी ने भी पूर्व मंत्री हरक को ठहराया जिम्मेदार, बढ़ी रावत की मुश्किलें

Sakshi Chhamalwan
4 Min Read
DR HARAK SINGH RAWAT

कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग में पाखरो टाइगर सफारी के बहुचर्चित मामले में तत्कालीन वन मंत्री डा हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से गठित कमेटी ने अवैध निर्माण को लेकर तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को जिम्मेदार माना है।

सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी के बाद अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से गठित कमेटी ने भी टाइगर सफारी के लिए अवैध कटान और अवैध निर्माण को लेकर तत्कालीन वन मंत्री डा हरक सिंह रावत और कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को जिम्मेदार ठहराया है।

टाइगर सफारी मामले में हरक जिम्मेदार

टाइगर सफारी के लिए नियमों को ताक पर रखकर स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बिना स्वीकृति के निर्माण कार्यों का मामला वर्ष 2021 में तब प्रकाश में आया, जब इस संबंध में हुई शिकायत की राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मौका मुआयना किया। जांच में शिकायतों को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति सरकार से की गई।

प्रकरण की विभागीय और विजिलेंस जांच में यह पुष्टि हुई थी कि टाइगर सफारी के लिए पाखरो से कालागढ़ वन विश्राम गृह तक के क्षेत्र में कराए गए निर्माण कार्यों के लिए किसी प्रकार की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ली गई थी। साथ ही नियमों को ताक पर रखा गया था।

तत्कालीन वन मंत्री व डीएफओ को ठहराया जिम्मेदार

मामले में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग और कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ किशन चंद को निलंबित कर दिया गया था। यह दोनों आईएफएस सेवानिवृत्त हो चुके हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में प्रकरण के लिए तत्कालीन वन मंत्री डा हरक सिंह रावत व डीएफओ किशन चंद को जिम्मेदार ठहराया था।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी

कुछ समय पहले टाइगर सफारी के लिए स्वीकृत 168 पेड़ों के स्थान पर छह हजार पेड़ों के कटान की बात सामने आने पर एनजीटी ने भी प्रकरण की जांच के लिए महानिदेशक वन सीपी गोयल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। अब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि टाइगर सफारी के नाम पर स्वीकृति से कहीं अधिक पेड़ों का कटान किया गया। साथ ही वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति लिए अवैध रूप से निर्माण कार्य कराए गए। कमेटी ने इसके लिए पूर्व डीएफओ किशन चंद समेत इस कार्य में लगे अन्य अधिकारियों के साथ ही तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार ठहराया है।

बता दे तत्कालीन वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पर बिना स्वीकृति के वित्तीय व अन्य कार्यों के लिए अनुमोदन देने का आरोप है।इसे लेकर हरक की मुश्किलें अब बढ़ती हुई दिख रही है।

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Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।