उत्तरकाशी के सिलक्यारा में पिछले 13 दिनों से 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 14वां दिन है। श्रमिकों को सुरंग से निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है। वही एनडीएमए के सदस्य ने कहा कि हमे थोड़ा धैर्य रखने की जरुरत है। क्योंकि रेस्क्यू टीम पर दबाव डालना गलत होगा।
जटिल होता जा रहा है रेस्क्यू ऑपरेशन : NDMA
एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि हर किसी का ध्यान इस पर है कि यह ऑपरेशन कब खत्म होगा। लेकिन आपको यह देखने की जरूरत है कि यह ऑपरेशन और भी जटिल होता जा रहा है।
सिलक्यारा में है युद्ध जैसी स्थिति
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा ‘हमने आपको कभी समय रेखा नहीं दी है। मैंने अनुभव किया है कि जब आप पहाड़ों के साथ कुछ करते हैं तो आप कुछ भी भविष्यवाणी नहीं कर सकते। यह बिल्कुल युद्ध जैसी स्थिति है।’ उन्होंने कहा ‘अच्छी खबर यह है कि अंदर फंसे 41 मजदूर ठीक हैं। उनके पास सभी चीजें जा रही हैं’
ऑगर मशीन में हुई है क्षति
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने आगे कहा ‘वहां पर मजदूरों के परिजन भी आ गए हैं। मजदूरों ने अपने परिजनों से बात भी की है। जहां तक बचाव अभियान का सवाल है, कुछ समस्याएं हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं। ऑगर मशीन में क्षति हुई है और इसका कुछ हिस्सा बाहर नहीं आया है।’
रेस्क्यू टीम पर दबाव डालना होगा गलत’
‘मशीन के उस हिस्से को बाहर लाने के लिए उन्नत मशीनरी की आवश्यकता है, जिसे भारतीय वायु सेना द्वारा हवाई मार्ग से लाया जा रहा है। यह जल्द ही सुरंग स्थल पर पहुंच जाएगा। हमें थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा। काम करने वालों पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डालना है। याद रखना है कि जहां भी काम हो रहा है वे खतरनाक है।’