उत्तराखंड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय शुभारंभ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज के छात्रों को कृमि मुक्ति की दवाई खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की शुरुआत की।
बच्चों को गिनाए दवा न खाने के नुकसान
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा उद्घाटन कार्यक्रम देहरादून स्थित शासकीय स्कूल गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्रों को कृमि मुक्ति की दवाइयां खिलाई गई व बच्चों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व पर जागरुक किया गया। स्वाति एस. भदौरिया ने कहा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति सुधारने के लिए सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का जिक्र किया। उन्होंने कृमि संक्रमण के दुष्प्रभावों को समझाते हुए, सभी बच्चों को समय पर दवाइयां लेने और स्वच्छता के आदतों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आठ सालों से संचालित किया जा रहा है राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि बच्चों, किशोर व किशोरियों में अनीमिया के स्तर को कम करने के लिये सभी बच्चों को कृमि मुक्त करना अति आवश्यक है इस ‘राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस’ कार्यक्रम का यही लक्ष्य है। बता दें ‘राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम पिछले आठ सालों से सभी जनपदों में संचालित किया जा रहा है और इस बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का सोलहवां चरण का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों के पेट में होने वाले कृमि संक्रमण को उपचारित कर उनका स्वास्थ्य व पोषण को बेहतर करना है।
37.29 लाख बच्चों को खिलाई दवा
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के इस चरण में 37.29 लाख बच्चों और किशोर-किशोरियों को लगभग 23 हजार निजी और सरकारी स्कूलों और 20 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से कृमि नियंत्रण की दवा खिलाने का लक्ष्य रख गया है। चूंकि 1 से 19 वर्ष के लगभग सभी बच्चे, किशोर व किशोरियां सरकारी व निजी स्कूलों, महाविद्यालयों, अन्य शिक्षण संस्थानों, कोचिंग व आंगनवाडी केन्द्रों में दर्ज होते हैं इस लिये इन सभी संस्थानों की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।