पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जबरदस्ती की गई शादी मान्य नहीं होगी। बंदूक की नोक पर मांग भरना शादी नहीं कहलाएगी। जब तक दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों फेरे नहीं ले या दोनों के बीच सहमति न हों, तब तक शादी वैध नहीं मानी जाएगी। गुरुवार को पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण कुमार झा और जस्टिस पीबी बजंथ्री ने दस साल पहले हुए पकड़ौआ शादी के केस में सुनवाई की। कोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया है।
रविकांत की जबरन हुई थी शादी
जानकारी के अनुसार नवादा निवासी रविकांत की जबरन 30 जून 2013 को शादी की गई थी। वह अपने चाचा के साथ मंदिर गए थे, इसी दौरान उन्हें अगवा किया गया है। इसके बाद बंदूक के बल पर जबरन लड़की की मांग भरवाई गई। इसके बाद रविकांत ने लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत मे केस दायर किया। रविकांत पकड़ौआ को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट भी गए थे। लेकिन 27 जनवरी, 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद रविकांत न्याय मांगने के लिए पटना हाईकोर्ट पहुंच गए।
कथित विवाह कानून की नजर में आमान्य
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीले सुनी। साथ ही कहा कि दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि दूल्हा और दुल्हन द्वारा सात फेरे लिए थे। कोर्ट ने यह भी माना कि 2020 में फैमिटी कोर्ट के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे। गवाही के दौरान पुजारी उस स्थान के बारे में बताने में भी सक्षम नहीं था, जहां विवाह संस्कार पूर्ण हुआ था। ऐसे मे कथित विवाह कानून की नजर में अमान्य है।



