नैनीताल- स्टिंग ऑपरेशन मामले में आज सरकार को थोड़ी राहत मिली है। सुनवाई 17 सितंबर तक टल गई है। हाई कोर्ट में बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआइ जांच को चुनौती देती याचिका पर आज सीएम की ओर से उनके वकील पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की।
गौैरतलब है कि राज्य विधानसभा के बजट सत्र में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान खासा हंगामा हुआ था और हरीश रावत सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेस के नौ विधायक मत विभाजन की मांग करते हुए विपक्ष से जा मिले थे। जिसके बाद राज्य में सियासी हलचल मच गई। सरकार के विश्वास मत हासिल करने से पहले ही दिल्ली में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने एक स्टिंग का खुलासा किया जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री पर बहुमत जुटाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करने का आरोप लगा था।
मामले की जांच के लिए पहले सीबीआई को एजेंसी बनाया गया था लेकिन बाद मे रावत सरकार की वरिष्ठ मंत्री इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की जांच सीबीआइ से हटाकर एसआइटी को देने का फैसला किया गया। जिस पर फिर हो हल्ला हुआ और काग्रसे से बागी हो चुके पूर्व मंत्री हरीश रावत कैबिनेट के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए। उधर हाई कोर्ट में इस मामले पर सभी पक्षों से जवाब मांगा गया था। जिनमें मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार, सीबीआइ व राज्य सरकार समेत याचिकाकर्ता पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत शामिल थे। सभी पक्षों ने अपने जवाब व प्रति उत्तर उच्च न्यालय में दाखिल कर दिए हैं जिन पर आज जिरह होनी थी। आज अदालत में बहस हुई भी थी ,मुख्यमंत्री का पक्ष उनके वकील कपिल सिब्बल ने रखा लेकिन अदालत ने अगली तारीख मकर्रर कर दी है। दरअसल सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद ही सही गलत का फैसला हो पाएगा। बहरहाल 17 सितंबर तक सरकार को राहत मिल गई है ।