उत्तराखंड के बहुचर्चित घोटाले में एक नया मोड़ आया है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी हरमिंदर सिंह बावेजा उत्तराखंड छोड़कर हिमाचल चले गए हैं। वो जाने से पहले मुख्य सचिव उत्तराखंड के नाम एक पत्र लिखकर गए हैं। इस पत्र के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। एक तरफ उत्तराखंड में घोटाले की सीबीआई जांच चल रही है और दूसरी तरफ बावेजा ने हिमाचल में शरण ले ली है। ऐसे में उनसे पूछताछ कैसे होगी इसे लेकर कांग्रेस ने अब कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बावेजा को भगाने का रचा षड्यंत्र- दसौनी
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि विभागीय मंत्री की मेहनत काम आई और वह बावेजा को भगाने में सफल हो गए हैं। गरिमा ने आरोप लगाया कि एड़ी चोटी का जोर लगाने और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बावजूद जैसे ही विभागीय मंत्री जोशी को लगा कि अब सीबीआई से बावेजा को बचाना मुश्किल है तो बिना कार्यमुक्त किये उसे भगाने का नया षड्यंत्र रच दिया। दसौनी ने चुनौती देते हुए कहा कि जो धामी की लाचार सरकार नहीं कर पाई वो सीबीआई जरुर करेगी।
उत्तराखंड में जंगल राज हावी हो चुका है
दसौनी ने कहा कि बावेजा की हरकत से साफ पता चलता है कि उत्तराखंड में जंगल राज हावी हो चुका है। उत्तराखंड को करोड़ों की चपत लगा चुका उघान विभाग का निदेशक बावेजा उत्तराखंड सरकार और शासन से रिलीव किया जाना चाहिए था वहां उल्टा बवेजा शासन को मात्र पत्र के माध्यम से सूचना देकर बीच सीबीआई जांच से पीठ दिखाकर हिमाचल प्रदेश जा चुके हैं।
गणेश जोशी की भूमिका पर भी उठाए सवाल
वहीं मंत्री गणेश जोशी की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है। इतने गंभीर विषय पर शासन क्यों नहीं रहा सख्त? आंखिर बवेजा से इतना लगाव क्यों? दसौनी ने कहा कि सरकार पर लानत है। उघान विभाग इस बात का नमूना है कि एक अधिकारी पर न्यायालय ने सीबीआई की जांच बैठाई हो और उसने प्रदेश सरकार के कार्यमुक्त करने का इंतजार करना भी उचित नहीं समझा और उल्टा सरकार को ही नोटिस देकर यहां से खुद ही अपने को कार्यमुक्त कर दिया। दसौनी ने कहा या तो बावेजा को सरकार का पूरा संरक्षण मिला है या फिर बावेजा ने सरकार की कोई नस दबाई है जो सरकार उसके आगे घुटने टेक रही है। जिस भ्रष्ट अधिकारी को सरकार सलाखों के भीतर पहुँचाने में नाकामयाब दिखी वहीँ इस अधिकारी पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने में सरकार पूरी तरह लाचार नजर आई ।