देहरादून के मेयर सुनील उनियाल स्मार्ट सिटी परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला उठाकर हाल ही में सुर्खियों में आ गए। गामा ने बाकायदा एक चिट्ठी लिखकर सीएम से वित्तीय जांच की मांग की है। लेकिन सवाल सिर्फ इतना भर नहीं है। सवाल ये भी है कि गामा जी को स्मार्ट सिटी परियोजना में भ्रष्टाचार इतनी देर में क्यों दिखा? या फिर पहले दिखा लेकिन चुप्पी साधे रहे क्योंकिं वो जिनकी कृपा से मेयर बने थे वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे? ये सवाल इसलिए भी क्योंकि स्मार्ट सिटी परियोजना की सिटी लेवल एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष भी हैं लेकिन अब से पहले उन्होंने अपनी कमेटी में इस मसले को क्यों नहीं उठाया?
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आगे बात चले इससे पहले जरा बैकग्राउंड समझ लीजिए। दरअसल देहरादून के एक हिस्से में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत पिछले कई साल से काम चल रहा है। इस परियोजना में तकरीबन 1500 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं लेकिन काम है कि पूरे ही नहीं हो रहें हैं। वो चलते ही जा रहें हैं। हालात ये हैं कि अब लोग ऊब गए हैं। कभी कोई सड़क खोदी जाती है तो कभी कोई। अब लोगों की नाराजगी अखबारों और वेबसाइट्स पर आने लगी तो सीएम धामी ने अधिकारियों की बैठक बुला ली। बैठक में सीएम ने सख्त निर्देश दिए और लापरवाही करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी भी दे डाली।
इसी घटनाक्रम के बीच एक लेटर सामने आया। ये लेटर देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने सीएम धामी को लिखा है। इस लेटर में गामा ने स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। गामा कह रहें हैं कि परियोजना में करप्शन हुआ है। जांच की मांग भी कर रहें हैं।
पहली नजर में ये चिट्ठी क्रांतिकारी लगती है लेकिन सोचिए तो मेयर साहब की सालों बाद आई चिट्ठी कई सवालों को जन्म देती है। दरअसल स्मार्ट सिटी परियोजना शहर में पिछले कई सालों से चल रही है। ये योजना त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में ही सवालों के घेरे में आ गई थी लेकिन मेयर ने एक बार भी इस योजना को लेकर सवाल नहीं उठाया। संभवत उन्हे इस बात का डर रहा हो कि कहीं मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ न चला जाए। वैसे ये जगजाहिर है कि सुनिल उनियाल गामा पर त्रिेवेंद्र सिंह रावत की खूब कृपा बरसी। निगम के चुनावों में त्रिवेंद्र के चहेते गामा को मेयर का पद दिया गया।
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त्रिवेंद्र के कार्यकाल में गामा ने एक बार भी स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर सवाल नहीं किए। न चिट्ठी लिखी और न ही भ्रष्टाचार दिखा लेकिन जब त्रिवेंद्र कुर्सी पर नहीं रहे तो भ्रष्टाचार दिखने लगा।
आमतौर पर भले ही आपने कभी अपने इलाके में मेयर गामा को न देखा हो लेकिन सच ये भी है कि नगर निगम के चुनाव जल्द होने वाले हैं। ऐसे में गामा जी सक्रिय दिख रहें हैं। उनकी ये चिट्ठी भी इसी सक्रियता का हिस्सा मानी जा सकती है। फिलहाल आगे आगे देखते हैं कि गामा जी कितने दिनों तक सक्रिय बने रहते हैं?