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उत्तर की तरफ क्यों शिफ्ट हो रही हैं बारिश? किसपर पड़ेगा इसका प्रभाव? नई स्टडी में हुआ खुलासा

Uma Kothari
4 Min Read
RAIN SHIFTING TO NORTH NEW STUDY EXPLAINS WHY

क्या आप जानते हैं की दुनिया में धिरे-धिरे बरसात लगातार उत्तर की तरफ शिफ्ट हो रही है। जी हां यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के जलवायु वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बारिश में होने वाले ये बदलाव हिमालय और भारत की कृषि पर गहरा असर डाल सकती है। ऐसे में सवाल ये हैं कि आखिर बरसात क्यों शिफ्ट हो रही है? क्लाइमेट चेंज का इसमें क्या रोल है? आइए जानते हैं।

नई स्टडी में हुआ खुलासा

ये तो हम सभ जानते ही है कि क्लाइमेट चेंज हमारी धरती पर कितना प्रभाव डाल रहा है। लेकिन ये कितना खतरनाक हो सकता है।इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। आपको बता दें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के क्लाइमेट साइंटिस्ट्स ने एक स्टडी में ये खुलासा किया है की बरसात के इस तरह से शिफ्ट होने की वजह बढ़ते इमिशन के कारण वातावरण में आ रहे काम्प्लेक्स चेंजेस हैं।

ये चेंजेस Inter Tropical Convergence Zones के फोरमेशन को भी प्रभावित कर सकते हैं। ये वो जोन हैं जहां पर नार्थ ईस्ट ट्रेड विंड्स और साउथ ईस्ट ट्रेड विंड्स आपस में मिलती हैं। उसके बाद यह हवाएं ऊपर की ओर बढ़ती हैं, जहां तापमान कम होता है। इनके कारण महासागरों से बड़ी मात्रा में नमी आती है। जैसे-जैसे ये नमी वाली हवाएं ऊंचाई पर ठंडी होती हैं, तो इनसे बादल बनते हैं, जिनकी वजह से गरज के साथ भारी बारिश होती है।

दूसरे डायरेक्शन में मूव कर रही हैं रेन बेल्ट

अब क्लाइमेट चेंज की वजह से अर्थ की ट्रॉपिकल रेन बेल्ट (Tropical Rain Belt) अपोजिट डायरेक्शंस में मूव कर रही है। बता दें कि ये धरती का 2/3 हिस्सा कवर करती है। इसकी वजह से बारिश साल दर साल नॉर्थ की तरफ बढ़ रही है।
हालांकि अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है की पर्यावरण में हो रहा ये बदलाव सिर्फ दो दशकों तक रहेगा उसके बाद दक्षिणी महासागरों के गर्म होने से बनने वाला मजबूत प्रभाव इस तरह के मौसम को वापस दक्षिण की ओर खींच लाएगा और अगले हजार सालों तक वहीं बनाए रखेगा।

शिफ्त होती बरसात का असर

वैज्ञानिकों का कहना है कि कृषि और अर्थव्यवस्था पर भी इस शिफ्ट होती बरसात का प्रभाव पड़ेगा। लाइन ऑफ इक्वेटर(Equator) के आसपास के इलाकों में जैसे मध्य अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और प्रशांत द्वीप समूह इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इन इलाकों में कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं।जैसे कॉफी, कोको, पाम ऑयल, केला, गन्ना, चाय, आम, अनानास आदि।

साथ ही इन इलाकों में बारिश में आया थोड़ा सा बदलाव अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसी के साथ अच्छा खासा असर भारत में भी देखने को मिल रहा है तभी तो हिमालय की तरफ पहुंचने वाली बारिश से बड़ी आपदाएं आ रही हैं। जो पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं।इस रिपोर्ट में बताया गया है की पिछले कुछ दशकों की तुलना में बारिश इस समय 0.2 डिग्री उत्तर की ओर चली गई है।

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