मालन नदी के पुल के टूटने के कारण एक युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि दो लोग अब भी लापता है। पुल के टूटने से हुए हादसे के बाद सामने आया है कि ये पुल असुरक्षित श्रेणी में था।
असुरक्षित श्रेणी में था मालन नदी पर बना पुल
उत्तराखंड में पिछले साल नवंबर में पुलों की जांच के लिए सेफ्टी ऑडिट कराया गया था। जिसमें सामने आया था कि प्रदेश के 36 पुल असुरक्षित हैं। मालन नदी पर बना पुल इन 36 पुलों में से एक पुल था। असुरक्षित होने के बाद भी इस पुल पर लोगों की आवाजाही होती रही। जिसके बाद कुछ ही दिनों की बारिश के कारण पुल ढह गया।
विभागों की लापरवाही ने ले ली एक जान
पुल के सेफ्टी ऑडिट के बाद इसकी रिपोर्ट को आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा गया। लेकिन मानकों पर फिट न बैठने के कारण इसे फिर से लोनिवि को वापस भेज दिया गया। लेकिन इसके बाद भी इस पुल को गंभीरता से नहीं लिया गया।
जिस कारण ये हादसा हुआ और विभागों की लापरवाही के कारण एक युवक को अपनी जान गवांनी पड़ी। यहां पर सवाल ये उठता है कि अगर पुल को पिछले साल ही अलुरक्षित घोषित कर दिया गया था तो इस पर लोगों की आवाजाही को रोका क्यों नहीं गया ? समय रहते इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया ?
मोरबी हादसे के बाद प्रदेश में पुलों का कराया गया था ऑडिट
गुजरात के मोरबी में हुई पुल दुर्घटना के बाद प्रदेश में लोनिवि के अंतर्गत आने वाले पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराया गया था। उस समय विभाग के हल्द्वानी, देहरादून, पौड़ी और अल्मोड़ा जोन के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों के कुल 2518 पुलों का निरीक्षण किया गया था। जिसमें 36 पुल असुरक्षित पाए गए थे।
सबसे ज्यादा असुरक्षित पुल पौड़ी जिले में
पिछले साल कराए गए सेफ्टी ऑडिट में सबसे ज्यादा असुरक्षित पुल पौड़ी जिले के थे। पौड़ी जिले के 16 पुलों को असुरक्षित श्रेणी में रखा गया था। जिनमें कोटद्वार के मालन नदी पर बना पुल भी था। बता दें कि ये एकमात्र पुल है जो कोटद्वार को भाबर से जोड़ता था। असुरक्षित पाए जाने के बाद भी इसकी इनदेखी क्यों की गई ?