उत्तराखंड में एक बार फिर से लंपी वायरस का कहर देखने को मिल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चार दिन के भीतर पर्वतीय जिलों में तीन हजार से अधिक मवेशी चपेट में आए हैं। जबकि चार जिलों में 32 पशुओं की मौत भी हो चुकी है। जिसके बाद वायरस की रोकथाम के लिए सरकार ने प्रदेश के भीतर एक जिले से दूसरे जिले और बाहरी राज्यों से पशुओं के परिवहन पर एक महीने तक की रोक लगा दी है।
इसके साथ ही पशुपालन के अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई है। बता दें बुधवार को विधानसभा में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने प्रेसवार्ता की थी। वार्ता में कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कुमाऊं में आने वाले जिलों में लंपी वायरस फैल रहा है।
3131 मवेशी आ चुके है लंपी वायरस की चपेट में
चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद में 3131 मवेशी लंपी वायरस की चपेट में आए हैं। इनमें से 1669 पशु ठीक भी हुए हैं। जबकि 32 पशुओं की मौत भी हुई है। प्रदेश में वायरस से ठीक होने की दर 53.3 प्रतिशत है और मृत्यु दर 1.02 प्रतिशत है।
प्रभावित क्षेत्रों में सभी पशुओं को लगाया जाएगा टीका
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि वायरस से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। नौ मई तक प्रदेशभर में 7.43 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। आगामी 10 दिनों के भीतर रोग प्रभावित क्षेत्रों में लगभग सभी पशुओं को टीका लगाया जाएगा। इसके साथ ही गढ़वाल मंडल से भी प्रभावित क्षेत्रों में टीमें टीकाकरण के लिए लगाई गई है।
पशुपालकों से की जा रही अपील
पशुपालन मंत्री ने बताया कि वायरस की रोकथाम के लिए सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। सभी पशुपालकों से आग्रह किया जा रहा है कि गोशाला में साफ-सफाई का अधिक ध्यान रखें। इसके साथ ही ध्यान रखे की मच्छर और मक्खी गौशाला में ना आ सके। क्योंकि इस वजह से वायरस एक से दूसरे पशु में फैलता है।
पशुपालन विभाग ने किया टोल फ्री नंबर जारी
लंपी वायरस की रोकथाम के लिए और पशुपाकों की साहयता के लिए पशुपालन विभाग ने दो टोल फ्री नंबर 1962 और 18001208862 जारी किए हैं। इसके लिए निदेशालय में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया है।