दीपावली का त्यौहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के दिन कुमाऊं में घर-घर महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली में लोग बाजार से गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदते हैं। ज्यादातर लोग मिट्टी से बनी मूर्तियों को ज्यादा महत्व देते हैं। लेकिन उत्तराखंड के कुमाऊं में लोग घरों में गन्ने से लक्ष्मी बनाते हैं।
कुमाऊं में दीवाली पर बनाई जाती है गन्ने से लक्ष्मी
दीपावली पर कुमाऊं में गन्ने से माता लक्ष्मी बनाई जाती है। गन्ने से बनाई जाने वाली इस मूर्ति का विशेष महत्व होता है। इसके लिए लोग एक दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। माता रानी के वस्त्र कई दिन पहले से ही तैयार किए जाने लगते हैं।
ऐसे बनाई जाती है गन्ने की लक्ष्मी
दीपावली की सुबह लोग गन्ने लाकर इसे बनाना शुरू कर देते हैं। लोग गन्ना अपने खेतों से काटकर ले आते हैं जिनके पास नहीं होते वो बाजारों से इसे खरीदकर लाते हैं। फिर इस गन्ने के तीन भाग किए जाते हैं। इसके बाद गन्ने के इस टुकड़े और केले के पत्ते की मदद से इसे बनाया जाता है।
बाजार से लाए गए या फिर हाथ से बनाए गए मुखौटे या फिर नीबू का उपयोग कर मूर्ति बनाई जाती है। मां लक्ष्मी की मूर्ति का पूरा श्रृंगार भी किया जाता है। खूबसूरत कपड़ों, पिछौड़े, गहने और मालाओं से मां की मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है। श्रृंगार के बाद मां लक्ष्मी कुमाऊंनी रूप में बेहद ही सुंदर लगती हैं। रात को माता रानी की पूजा की जाती है।
गन्ने की लक्ष्मी बनाने के पीछे ये है मान्यता
गन्ने की लक्ष्मी बनाने के पीछे की मान्यता ये है कि मानस खंड और पुराणों में गन्ने को काफी शुभ और फलदायक माना जाता है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी को भी गन्ना बेहद ही पसंद है। इसलिए पूरे कुमाऊं में लक्ष्मी की मूर्ति गन्ने से बनाई जाती है।
गन्ने को माना जाता है बेहद शुभ
इसके साथ ही कुमाऊं में शादी-विवाह, जनेऊ के साथ ही अन्य कार्यों में भी गन्ने के पौधे को पूजने का विधान है। मान्यता है कि स घर मे लक्ष्मी मां बेहद खूबसूरत होती हैं वो घर धन धान्य व सुख समृद्धि से परिपूर्ण होता है। जिन घरों में किन्हीं कारणों से गन्ने की मूर्ति नहीं बनाई जाती उन घरों में गन्ने की पूजा की जाती है।
लक्ष्मी देखने घर-घर जाते हैं लोग
दीवाली के दिन गन्ने की लक्ष्मी की पूजा के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा व भैया दूज तक लोग दूसरे के घरों में मां लक्ष्मी को देखने के लिए जाते हैं। तीन दिन बाद माता लक्ष्मी को भावभीनी विदाई दी जाती है। गन्ने से बनी मां लक्ष्मी की मूर्ति का विसर्जन नदियों में किया जाता है।