देहरादून: कोरोना ने पहले केवल चीन को अपने कब्जे में लिया। धीरे-धीरे चीन से ये वायरस किसी न किसी चीज से पूरी दुनिया को अपने कब्जे में ले चुका है। भारत में अब तक 40 मामले सामने आ चुके हैं। उत्तराखंड की बात करें तो चीन और दूसरे दशों से वापस उत्तराखंड आए 84 लोगों की अब तक जांच की जा चुकी है। अच्छी बात ये है कि ये सभी मामले नेगेटिव पाए गए हैं। कोरोना को लेकर कई तरह के झूठ भी फैलाए जा रहे हैं। आइये आपको बताते हैं कि उन झूठी बातों की सच्चाई क्या है ?
झूठ-1ः तापमान बढ़ने पर कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा
ऐसा कहा तो इस बात का अभी कोई सबूत नहीं है। हालांकि ज्यादा तापमान पर वायरस का एक से दूसरे में फैलने का खतरा जरूर कम हो जाता है। गर्मी ये इकसा फैलना कम हो सकता है, लेकिन, वायरस खत्म हो जाएगा इस बात के कोई सबूत फिलहाल नहीं हैं।
झूठ-2: गर्म पानी से नहाने से आप इंफेक्शन से बच सकते हैं
सिर्फ गर्म पानी से नहाने से आप कोरोना वायरस से बचे रहेंगे इस बात में भी कोई सच्चाई नहीं है। इंफेक्शन से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप बार-बार साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोते रहें। अगर पानी से हाथ धोना संभव ना हो तो हैंड सैनिटाइजर यूज करें जिसमें 60 से 70 प्रतिशत ऐल्कॉहॉल हो।
झूठ-3: पूरे शरीर पर ऐल्कॉहॉल स्प्रे करने से कोरोना से बच सकते हैं
ऐल्कॉहॉल स्प्रे करने से वह वायरस नहीं मरेगा, जो आपके शरीर में पहले ही जा चुका है। ऐल्कॉहॉल मुंह, आंख, नाक के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लिहाजा ऐल्कॉहॉल को पूरे शरीर में स्प्रे करने की बजाए हैंड सैनिटाइजर के तौर पर इसका इस्तेमाल करें ताकि आप इंफेक्शन से बचे रहें।
झूठ-4 : पालतू जानवर कोरोना फैला सकते हैं
अभी ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आपके पालतू कुत्ते या बिल्ली को कोरोना हो सकता है। लेकिन फिर भी अपने पालतू जानवरों जैसे- डॉग या कैट को छूने के बाद अच्छी तरह से हाथ धो लेना बेहतर होगा।
झूठ-5: फ्लू की वैक्सीन कोरोना से बचा सकती है
सच्चाई ये है कि निमोनिया या इन्फ्लूएंजा टाइप बी की वैक्सीन कोरोना से बचाव नहीं करती। इसके लिए अलग वैक्सीन की जरूरत है जो अब तक बनी ही नहीं है और कोरोना का इलाज भी अब तक खोजा नहीं जा सका है।
झूठ-6: इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाएं कोरोना से बचाएंगी
ळकीकत यह है कि ऐसी दवाएं फिर चाहे ऐलोपैथिक हांे, होम्योपैथिक या फिर आयुर्वेदिक ये भले ही आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार हों लेकिन ये दवाएं कोरोना से बचाव कर सकती हैं, ऐसे सबूत अब तक नहीं मिले हैं।
झूठ-7ः हर किसी को एन-95 मास्क बचाएगा
ऐसे हेल्थ केयर वर्कर, जो कोरोना पीड़ित के आसपास काम करते हैं, उन्हें ही एन-95 मास्क की जरूरत है। आम लोग, जिनमें कोई लक्षण नहीं है, उन्हें किसी मास्क की जरूरत नहीं है। किसी भी तरह के वायरस के खतरे से बचने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।
झूठ-8ः ऐंटिबायॉटिक्स दवाएं कोरोना से बचा सकती हैं
इसकी हकीकत यह है कि ऐंटिबायॉटिक्स दवाएं बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती हैं। वायरस के खिलाफ नहीं और कोरोना एक वायरस है। अगर कोई इंफेक्शन के बाद अस्पताल में भर्ती है तो कई बार ऐंटिबायॉटिक्स देनी पड़ सकती हैं। कोरोना के इलाज की बात करें तो अब तक इसका कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है।
झूठ-9ः चिकन, मछली, मीट खाने से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है
यह सांस से जुड़ा वायरस है और यह संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। इसके चिकन, मछली, मीट खाने से फैलने के कोई सबूत अब तक नहीं मिले हैं। यह भी एक कोरी अफवाह है।
झूठ-10ः चीन और दूसरे देश, जहां कोरोनो के मामले ज्यादा हैं। वहां की बनी चीजों से भी कोरोना फैल सकता है
यह कह पाना फिलहाल बहुत मुश्किल है कि अलग-अलग स्थितियों और तापमान के बीच, अलग-अलग जगहों पर ट्रैवल करने के बावजूद यह वायरस जिंदा रहे। क्योंकि इसके जिंदा रहने का एक टाइम पीरियड है।