भाजपा में विपक्षी दलों के नेताओं की एक के बाद एक ज्वाइनिंग कहीं असंतोष का कारण न बन जाए। बीजेपी नेताओं को अब इसकी चिंता सताने लगी है। इसलिए अब मुख्यमंत्री को खुद प्रदेश अध्यक्ष को ये बात कहनी पड़ी है कि पार्टी में ज्वाइनिंग के लिए एक क्राइटेरिया बनाया जाए। वहीं कांग्रेस के नेताओं के भाजपा में आने के बाद कुछ भाजपा मेताओं अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी है।
विपक्ष के नेताओं की ज्वानिंग भाजपा की बढ़ी चिंता
उत्तराखंड बीजेपी में जिस तरीके से पिछले कुछ दिनों में बड़ी तादाद में दूसरे दल के नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है। उस से पार्टी के भीतर ही असंतोष की स्थिति भी दिखनी शुरू हो गई है। बद्रीनाथ में कांग्रेस विधायक को पार्टी में लाने से नाराज कर्णप्रयाग विधानसभा प्रभारी नवल भटट पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं।
बीजेपी के कई नेता नाराज
उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड के मंडल उपाघ्यक्ष मनोज कोहली, नौगांव में मंडल महामंत्री सत्येंद्र राणा भी बीजेपी से इस्तीफा दे चुके हैं।लोहाघाट में कांग्रेस विधायक खुशाल अधिकारी के भतीजे आनंद अधिकारी को बीजेपी में शामिल करने से पार्टी के पूर्व विधायक पूरन फर्त्याल भी गुस्से में हैं। जिनका कहना है कि कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के भतीजे आनंद अधिकारी की भाजपा में ज्वाइनिंग किसी बड़ी डील पर हुई है।
सीएम धामी ने प्रदेश अध्यक्ष को दिया सुझाव
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को एक सुझाव दिया गया है जिसके तहत पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं की स्क्रीनिंग करने और मानक तय करने की बात कही गई है। सीएम धामी का ये बयान इस से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि दूसरे दल से पार्टी में आने वाले नेताओं को लेकर अपनी ही पार्टी के कुछ नेता परेशान हैं।
डर और डील की वजह से भाजपा का दामन थाम रहे नेता
कांग्रेस विधायक के भतीजे की भाजपा में शामिल होने पर भाजपा के पूर्व विधायक ने सवाल खड़े किए हैं। इस पर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा में नेता या तो डर की वजह से शामिल हो रहे हैं या किसी डील की वजह से शामिल हो रहे हैं और इस बात का खुलासा खुद भाजपा के पूर्व विधायक के द्वारा कर दिया गया है।
कांग्रेस से आए नेता बढ़ा सकते हैं बीजेपी की टेंशन
ताबड़तोड़ ज्वाइनिंग से बीजेपी में अब कांग्रेस से आए नेताओं, कार्यकर्ताओं की भरमार हो चुकी है। लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनावों में भी जाना है। पार्टी में एक वर्ग को लगता है कि इन छोटे चुनावों में बीजेपी के कैडर कार्यकर्ताओं और नए नए भाजपाई बने नेताओं में टकराव की स्थिति बन सकती है। जिसे मैनेज कर पाना तब पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा।