देहरादून- गैरसैंण में शीतकालीन सत्र में गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने को लेकर चल रही चर्चा के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी अपना बयान फेसबुक के जरिए साझा किया और गैरसैंण में विधानसभावन, सचिवालय भवन बनाने का श्रेय खुद को दिया है और साथ ही भाजपा सरकार पर भी कई सवाल खड़े किए.
पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि ये कोई साधारण बात नहीं कि विधानसभा भवन बना, दूसरी संस्थाएं खड़ी की गई और सभी राजनीतिक दलों को गैरसैंण कहने के लिए मजबूर कर दिया, जिसमें भाजपा भी है।
रावत आगे लिखते हैं कि भाजपा तो गैरसैंण को तत्काल राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव लेकर के आई थी 2016 में, जब गैरसैंण में सत्र चल रहा था। अब कौन रोक रहा है भाजपा को, सरकार उनकी है मगर दुख के साथ कहना पड़ रहा है पिछले सात महीने में गैरसैंण में जो निर्माण कार्य चल रहे थे, सब रोक दिए गए हैं। विधानसभा भवन जैसा हम छोड़ करके गए थे बिल्कुल उसी स्थिति में है, सचिवालय की नींव डाल दी थी काम प्रारंभ होने जा रहा था, उसको रोक दिया गया है।
समझदारदायिक के तौर पर गैरसैंण का प्रसव कराया-हरदा
हरदा आगे लिखते हैं कि मैंने तो एक सुजान समझदारदायिक के तौर पर गैरसैंण का प्रसव करा दिया वहां विधानसभा भवन बनाकर और सचिवालय की नींव डालकर और दूसरे निर्माण कार्यों को प्रारंभ कराकर लेकिन अब वर्तमान सरकार के ऊपर है कि वो नवजात गैरसैंण शिशु का क्या नामकरण करना चाहते है।
सरकारें आई और गई लेकिन नहीं मिला राजधानी का खिताब
गौरतलब है कि गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन इस मुद्दे पर सिर्फ शोर-शराबा और राजनीति गर्माई जा रही है। हरीश रावत की सरकार से लेकर भाजपा की सरकार तक गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की सिर्फ बात ही हुई है और इसके नाम पर राजनिति ही हुई है लेकिन कोई भी सरकार सक्षम नहीं है इसे एक मान देने में.