मैं सोरभ बब्बर कर्जो के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा, अन्त में, मैं और मेरी धर्मपत्नी मोना बब्बर अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। ये दर्दभरा पत्र लिखकर इस दंपत्ति ने खुद की जीवनलीला को समाप्त कर दिया है। हरिद्वार में गंगा में कूदकर दोनों ने आत्महत्या कर ली है। मरने से पहले दोनों ने आखिरी सेल्फी भी ली, फिर सुसाइड नोट के साथ दोस्त के व्हाट्सएप पर भेज दिया। दोनों ने छलांग लगाने से पहले अपने घरवालों को फोन भी किया।
करोड़ों के कर्ज तले दबे थे सौरभ
सहारनपुर के किशनपुरा में सौरभ की सोने की दुकान है। लेकिन काफी समय से सौरभ के व्यापार में घाटा चल रहा था। करोड़ों का कर्ज उनके ऊपर हो गया था। चांर-पांच कमेटी के पैसे की पेंमेंट का टाइम भी आ गया था। लेकिन सौरभ के पास पैसे नहीं बचे थे और कर्जदार वसूली के लिए घर पर आने लगे थे। इन सबसे तंज आकर सौरभ ने अपनी पत्नी के साथ हरिद्वार गंगा में कूदकर जान दे दी।

किस कारण दंपति ने लगाया मौत को गले
बताया जा रहा है कि कमेटी सिस्टम मे सब मेम्बर से बराबर पैसा लिया जाता है, टोकन दिए जाते हैं, बोली लगाई जाती है। जिसका टोकन पहले निकलता है उसको जमा हुआ पैसा ब्याज पर मिल जाता है। निश्चित समयावधि में इसे लौटाना होता है। मगर सौरभ कमेटी का पैसा नहीं लौटा पा रहे थे। बताया जा रहा है कि सौरभ ने 5 कमेटियां चला रखी थी। एक कमेटी में 200 मेंबर थे और एक मेंबर की 2000 की किस्त थी। सभी कमेटियों की मियाद पूरी हो चुकी थी और लोगों को पैसे देना था। देने की ये रकम करोडों में पहुंच गई थी।
सौरभ ने सुसाइड नोट में क्या लिखा था?
सौरभ ने लिखा था, मैं सोरभ बब्बर कर्जो के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा, अन्त में, मैं और मेरी धर्मपत्नी मोना बब्बर अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। हमारी किशनपुरा वाली प्रॉपर्टी हमारे दोनों बच्चों के लिए है। हमारे बच्चे अपनी नानी के घर रहेंगे। हमें किसी और पर भरोसा नहीं है। दोनों बच्चों को अब हम पति-पत्नी उनके हवाले करने जा रहे हैं। जब हम आत्महत्या करंगे तो व्हाट्सएप पर फोटो शेयर कर देंगे। हमने लेनदाकों को अंधाधुंध ब्याज दिया, लेकिन अब नहीं दे पा रहे हैं। दुनिया को अलविदा।

सौरभ का शव मिला, मोना लापता
रविवार की रात सौरभ ने अपनी पत्नी मोना के साथ गंगा में छलागं लगा ली थी। सोमवार को सौरभ का शव गंगा नहर से मिला जबकि पत्नी मोना अभी भी लापता है। सौरभ के पास लोगों का काफी पैसा था जिसे वो लोगों को नहीं दे पा रहे थे और भारी कर्ज के तले दबे थे। घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन मासूम बच्चों का चेहरा देखकर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। इस घटना ने हर किसी को झकझोर दिया है। 7 साल के बेटे ने पिता सौरभ बब्बर के शव को मुख्गानि दी।