दिवाली के बाद भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन की तरह की भैया दूज का त्योहार भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और बदले में भाई को उपहार देते हैं। इस त्योहार को देशभर में भाई फोटा, भाऊ बीज, भाई बिज, भ्रातृ द्वितीय, भतृ द्वितीया, भाई तिहार और भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है। हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वीतीया तिथि को मनाया जाता है।
Bhai Dooj की तिथि का आरंभ
हिंदू पंचाग की तिथि के अनुसार भाई दूज की तिथि का आरंभ 2 नवंबर शाम 8 बजकर 21 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 3 नवंबर रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, भाई दूज का पर्व रविवार 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए कुल 2 घंटे 12 मिनट तक का समय लगेगा।
कैसे हुई भाई दूज की शुरुआत?
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संतानें थी एक यमराज और दूसरी यमुना। यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्रेम करते थे। यमुना अपने भाई से बार-बार अपने घर आने को कहती थी। अक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उन्होनें अपने भाई से घर पर आने का वचन ले लिया। भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए। तब यमुना ने अपने भाई यमराज का भव्य स्वागत किया। इसके बाद यमराज को तिलक लगाकर भोजन कराया। यमुना को अपने भाई के प्रति इतना प्रेम और आदर देख यमराज प्रसन्न हुए और यमुना से वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद वरदान में यमुना ने अपने भाई से कहा कि हर साल आप इस दिन मेरे घर आना। इसके बाद से भाई दूज या यम द्वितीया परंपरा शुरु हुई।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का काफी महत्व है। इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर और नारियल देकर सभी देवी-देवताओं से भाई की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है। उसके बाद भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं।