पुरोला में आज होने वाली महापंचायत को रोकने के लिए कल सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर हाईकोर्ट ने आज सुनवाई की। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही TV डिबेट व सोशल मीडिया पर रोक लगा दी है।
महापंचायत पर रोक की याचिका पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई
महापंचायत पर रोक की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
TV डिबेट व सोशल मीडिया पर लगाई रोक
जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सरकार से तीन इस तरह के मामलों में विधि के मुताबित सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में कोई टीवी डिबेट नहीं होगी और न ही इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया जायेगा। इसके साथ ही कोर्ट द्वारा आपत्तिजनक नारों पर भी रोक लगाई गई है।
सरकार से तीन हफ्ते में मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रूख अपनाते हुए कहा है कि जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है पुलिस उसकी जांच करें। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को तीन हफ्ते के अंदर पुरोला महापंचायत मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।
महापंचायत पर रोक लगाने को जनहित याचिका
बुधवार की दोपहर को एसोसिएशन फॉर द प्रोटक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने पुरोला में तनाव के बीच 15 जून को हिन्दू संगठनों की महापंचायत पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष याचिका दाखिल की थी। जिसे गुरुवार को फिर से मेंशन किया गया।
याचिका को सरकार ने बताया फर्जी
हाईकोर्ट में सरकार के वकील एसएन बाबुलकर ने याचिका को फर्जी व एकपक्षीय बताया। इसके साथ ही उन्होंने इस याचिका को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए निरस्त करने की प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि महापंचायत को आयोजकों द्वारा खुद ही स्थगित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि डीजीपी ने खुद इसकी जानकारी दी है। इसके साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता को घटना के बारे में पूरी जानकारी ही नहीं है। याचिका में क पक्ष को आरोपित बनाया गया है जबकि दूसरे पक्ष के अपराधों को छिपाया गया है।
हिंदू पक्ष पर तो आरोप लगाए गए हैं लेकिन उन्हें याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि याचिका के बारे में फर्जी बयानबाजी की जा रही है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है।