मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में मंगलवार को स्वास्थ्य और सूचना विभाग की ओर से देहरादून में पत्रकारों और उनके परिजनों के लिए निशुल्क स्वास्थ्य कैम्प आयोजित किया गया, जिसमें 350 से अधिक पत्रकारों और उनके परिजनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया.
देहरादून में पत्रकारों के लिए स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन
मुख्यमंत्री ने बीते दिनों पहले अधिकारियों को पत्रकारों के लिए विशेष मेडिकल कैम्प आयोजित करने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में मंगलवार को रिंग रोड स्थित सूचना निदेशालय परिसर में विशेष स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन किया गया. जिसमें राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सकों ने पत्रकारों की स्वास्थ्य जांच करते हुए परामर्श दिया. साथ ही पैथॉलॉजी सहित अन्य जांचें और आभा आईडी बनाने का काम भी मौके पर किया गया.
भविष्य में भी आयोजित होगा पत्रकारों के लिए कैंप
स्वास्थ्य कैम्प का शुभारंभ स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार और महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने किया. स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि मीडिया कर्मियों की व्यस्तता को देखते हुए यह कैम्प आयोजित किया गया. कैंप में एक ही छत के नीचे विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जांच के बाद परामर्श दिया. महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने कहा कि भविष्य में भी पत्रकारों केलिए इस तरह के कैम्प आयोजित किए जाएंगे.

ये डॉक्टर थे कैंप में मौजूद
निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि कैम्प में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. विवेकानंद सत्यावली, डॉ अंकुर पांडे, डॉ एनएस बिष्ट, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार, ईएनटी डॉ पीयूष त्रिपाठी, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शांति पांडे, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमर उपाध्याय, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चित्रा जोशी, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल जोशी, दंत रोग के डॉ. देवाशीष सवाई, डॉ. योगेश्वरी, सर्जन डॉ. अभय, डॉ दिनेश चौहान, यूरोलॉजिस्ट डॉ. मनोज विश्वास, त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ भव्या, मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ जगदीश सिंह बिष्ट, न्यूरो सर्जन डॉ डीपी तिवारी, पैथोलॉजिस्ट डॉ उमाशंकर कंडवाल , सीएमएस डॉ रविन्द्र बिष्ट, प्राचार्य डॉ गीता जैन, सीनियर रेडियोलॉजी टेक्नीशियन महेंद्र भंडारी सहित पैरामेडिकल स्टाफ भी शामिल हुआ.
350 से अधिक पत्रकारों और उनके परिजनों ने उठाया लाभ
डॉ आशुतोष सयाना ने बताया कि कैम्प में 350 से अधिक पत्रकारों और उनके परिजनों की जांच की गई. शिविर में आभा आईडी के साथ ही वय वंदन कार्ड भी बनाए गए. उन्होंने बताया कि कई ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें पत्रकारों को जांच के बाद ही पहली बार शुगर, बीपी, दृष्टि दोष जैसे समस्याओं का पता चला, इसके लिए उन्हें परामर्श और दवा भी दी गई.