दिल्ली/ देहरादून- तय है कि अगर जमीनी स्तर पर काम हुआ तो उत्तराखंड राज्य के खेत पीएम मोदी के उस सपने को साकर कर सकेंगें जो उन्होंने केदार दौरे के दौरान देखा था। इसके लिए केंद्र अपनी झोली फैलाए खड़ा है।
दरअसल पीएम मोदी ने केदार दौरे के दौरान उत्तराखंड राज्य को ऑर्गिनिक स्टेट के तौर पर विकसित होने का ख्वाब बुना था और सूबे की सरकार को इस दिशा दिशा में आगे बढ़ने की सलाह दी थी।
हालांकि ये अलग बात है कि सहूलियतों के आभाव में सूबे के ज्यादातर गांव पलायन की भारी पीड़ा सह रहे हैं। जबकि उम्रदराजों के बूते राज्य के पहाड़ी गांवों में हो रही खेती को जंगली जानवर तबाह कर चुके हैं।
तमाम विकास योजनाओं के तहत बांझ-बुरांश के जंगल और दूसरी पानी रोकने वाले पेड़ों की प्रजातियां तबाह हो चुकी हैं। जंगल काटने के लिए वन पर्यावरण मंत्रालय से लगातार मंजूरी ली जा रही है, लेकिन योजनाओँ की भेंट चढ़ चुके पेड़ों की एवज में कितने पेड़ लगाने की जिम्मेदारी जंगलात महकमे को दी है इसके बारे में आम आदमी वाकिफ नहीं है।
आबादी विहीन होते गांवों का असर सूबे की चाल-खालों पर पड़ रहा है तो पेड़ कटने का असर गांवों के नौले-धारों पर साफ दिखाई दे रहा है। वहीं मैदानी इलाकों की तस्वीर ये है कि बाजार और बस्तियों के आसपास सटी खेती-किसानी की जमीन पर भूमाफिया की गिद्ध निगाहें जमी हैं। जमकर कंकरीट की फसल उगाई जा रही है।
फिर भी ऐसे माहौल में केंद्र और सूबे की सरकार को उम्मीद है कि राज्य ऑर्गिनिक स्टेट बनकर कामयाबी का झंडा बुलंद करेगा। लिहाजा उत्तराखंड को जैविक खेती का उम्दा राज्य बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रूपए के उन प्रस्तावों को मंजूर किया है जो सूबे के कृषि मंत्रालय ने केंद्र सरकार को भेजे थे।
गौरतलब है कि बीते रोज सीएम रावत ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन से मुलाकात की थी। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने जैविक खेती की ओर उत्तराखंड सरकार के बढ़ते कदमों की तारीफ की थी और भंरोसा भी दिलाया जा रहा है कि राज्य सरकार को केन्द्र हर संभव मदद करेगी।
बहरहाल सीएम रावत ने ऑर्गेनिक स्टेट बनाने के लिए 1500 करोड़ रूपए के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करने के लिए केन्द्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया गया।