बुधवार को केदारनाथ में हुई अतिवृष्टि के बाद से केदारघाटी में जिदंगियों को बचाने की मुहिम चल रही है। दिन-रात एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान जुटे हुए हैं। नंदप्रयाग-घाट के गिरीश चमोली के लिए एसडीआरएफ के जवान देवदूत बनकर आए और उसकी जान बचा ली।
18 घंटे बोल्डरों के बीच लड़ी जिंदगी की जंग
थारू कैंप में दुकान चलाने वाले नंदप्रयाग-घाट के गिरीश चमोली बोल्डर गिरने के कारण फंस गए। गिरीश चमोली 18 घंटे तक जिदंगी और मौत के बीच झूलते रहे। मिली जानकारी के मुताबिक अपने घोड़े को बचाते हुए गिरीश चमोली बोल्डर की चपेट में आ गए। रातभर वो बचाव की उम्मीद करते रहे। शुक्रवार सुबह एसडीआरएफ के जवानों ने उसकी मदद की गुहार सुनी जिसके बाद उसका रेस्क्यू कर उसे सकुशल बाहर निकाला गया।
युवक के लिए फरिश्ता बनकर आए SDRF जवान
गिरीश चमोली ने बताया कि वो अपने घोड़े को बचाने के लिए दौड़े थे लेकिन इतने में ही भूस्खल हो गया। उनका घोड़ा तो वहां से भाग गया लेकिन वो नहीं भाग पाए। जब तक वो भागते तब तक उनके पैर पर बोल्डर गिरने के कारण वो जख्म हो गए और बोल्डरों के नीचे दब गए। उन्होंने बताा कि वो रातभर मदद की गुहार लगाते रहे लेकिन किसी ने उन्हें नहीं सुना। अगली सुबह उनकी आवाज एसडीआरएफ के जवानों ने सुनी। जिसके बाद उनका रेस्क्यू किया गया। पूरे 18 घंटे बाद उन्हें सुरक्षित वाहर निकाला गया। इस घटना में उनके एक साथी की दबने के कारण मौत हो गई।