दिल्ली में इस समय बाढ़ के कारण भयंकर स्थिति है। लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं। लाल किले हो या फिर सड़क जहां तक नजर जाए वहां पानी। बाढ़ के कारण आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
1963 से लेकर 2010 तक दिल्ली में सितंबर में आती थी बाढ़
बाढ़ के कारण जहां एक ओर कोहराम मचा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर बाढ़ ने चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में बड़ी बाढ़ 1924, 1977, 1978, 1988, 1995, 1998, 2010 और 2013 में आईं थी। जिसमें 1963 से 2010 तक के बाढ़ आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि राजधानी दिल्ली में बाढ़ आने की प्रवृत्ति सितंबर में बढ़ती है। जबकि ये जुलाई के महीने में घटती है।
इस बार जुलाई में ही बाढ़ से मचा हाहाकार
963 से 2010 तक के बाढ़ आंकड़ों से ये साफ होता है कि दिल्ली में बाढ़ सितंबर के महीने में ज्यादा आती थी। जबकि जुलाई में इसकी संभावना कम थी। लेकिन इस बार जुलाई में ही बाढ़ ने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कभी ना रूकने वाली दिल्ली और दिल्ली के लोगों को बाढ़ ने एक जगह रूकने के लिए मजबूर कर दिया।
बता दें कि दिल्ली में बाढ़ की स्थिति को केंद्रीय जल आयोग ने ‘भीषण स्थिति’ माना है। जिसके बाद एहतियात बरतते हुए दिल्ली के बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
यमुना का उफान दिल्ली में ला रहा बाढ़ का तूफान
यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यमुना का जलस्तर गुरुवार सुबह बढ़कर 208.48 मीटर पर पहुंच गया है। जिसेक बाद आसपास की सड़कें, सार्वजनिक और प्राइवेट इन्फ्रास्ट्रक्चर पानी में डूब गए। लगातार बढ़ रहा जलस्तर लोगों के लिए परेशानी बन रहा है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक पिछले 24 घंटे की अवधि में 153 मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की गई। जो 1982 के बाद से अब तक जुलाई में एक दिन में हुई सबसे ज्यादा बारिश है।