80 साल की बूढी़ मां 21 साल से लगातार अपने बेटे के लिए रोटी की थाली लेकर जाती है औऱ भोग लगता ही क्योंकि उसके लिए उसका बेटा जिंदा है. जी हां हम बात कर रहे हैं 80 साल की सरदारी देवी की जो की 21 साल से हाथ में रोटी की थाली लिए शहीद बेटे पवन के कमरे में लेकर आती हैं और खाना खिलाती है। ये क्रम 21 साल यानी 1999 से चल रहा है जब उनका बेटा पवन कारगिल में शहीद हो गया था। बेटा देश के लिए शहीद हो गया लेकिन मां के लिए आज भी जिंदा है। बता दें कि आज भी घर में तीनों वक्त खाने की पहली थाली शहीद के नाम की निकलती है। घर में शहीद का कमरा आज भी सबसे संवरा हुआ है। इसमें उनकी बचपन से लेकर शहादत तक की तस्वीरें और इस्तेमाल की चीजें रखी हैं।
आपको बता दें कि नारायणगढ़ के गांव गदौली के 29 वर्षीय पवन कुमार सैनी की 24 सितंबर 1999 को शादी होनी तय थी। उन्होंने 2 सितंबर को घर आना था लेकिन वो शादी के दो दिन पहले शहीद हो गए औऱ 3 सितंबर को उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा। शहादत की खबर से पहले घर काे ठीक करवाने का काम चल रहा था।
शहीद की वर्दी, कपड़ाें व कमरे के पर्दाें काे धुलवाया जाती है
आज भी शहीद पवन के कमरे में उनकी याद में औऱ यादों को ताजा रखने के लिए चिट्ठियां, वर्दी, उनकी तस्वीरें, मेडल, तमगे, किताबें, जूते व जरूरत का सामान रखा गया। कमरे की राेजाना सफाई की जाती है औऱ साथ ही शहीद की वर्दी, कपड़ाें और कमरे के पर्दाें काे धुलवाया जाता है। ये पिछले 21 सालाें से चलता आ रहा है। यह कमरा मंदिर की तरह है जहां जूते पहनकर अंदर नहीं जाते। सुबह-शाम देसी घी का दिया जलाते हैं। घर में कोई भी शुभ काम हो या त्योहार हो, इस कमरे में आशीर्वाद लेने जाते हैं।
2 सितंबर को शादी के लिए घर लौटना था, 3 को तिरंगे में आया था पार्थिव शरीर
शहीद पवन कुमार के बड़े भाई कृष्ण लाल सैनी ने बताया कि भाई काे बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का जज्बा था। कारगिल युद्ध के दौरान 31 अगस्त 1999 को पवन टॉप पोस्ट पर पाकिस्तानी सीमा से करीब 50 गज की दूरी पर तैनात था। इसी बीच गोलाबारी में शहीद हो गया था।