हल्द्वानी : सोमवार को संस्कृत भारती के जिला सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे शिक्षा मंत्री ने कहा कि व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक संस्कृत का महत्व जुड़ा हुआ है। नामकरण, विवाह से लेकर सभी संस्कारों में मंत्रोच्चारण संस्कृत में ही होता है। यह भाषा हमारे लिए गौरव है। पूर्व सांसद बलराज पासी ने संस्कृत को सभी भाषाओं का मूल बताया।
विद्यालयी शिक्षा और संस्कृत शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि संस्कृत हमारे देश की पहचान रही है। इस भाषा के सम्मान के लिए सरकारी कार्यालयों के नाम संस्कृत में लिखाए जा रहे हैं। संस्कृत को हाईस्कूल तक अब अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा। योग अध्यापक बनने के लिए भी संस्कृत की उपाधि अनिवार्य होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा संस्कृत संस्कारों की रक्षा करने वाली है। जेएनयू विश्वविद्यालय के प्रो. ब्रजेश कुमार पांडे ने बतौर मुख्य वक्ता संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता बताने के साथ उसके उन्नयन पर परामर्श दिया।
‘बच्चे हमारे हैं, हम बात कर लेंगे‘
मंत्री अरविंद पांडे सोमवार को भी अपने खास टीचर वाले अंदाज में नजर आए। संस्कृत सम्मेलन में शिक्षा मंत्री ने बच्चों को साहस और सदाचार का पाठ पढ़ाया। इसी दौरान कार्यक्रम में मौजूद कुछ बच्चे आपस में बात करने लगे। मंत्री ने टोकते हुए कहा- यह विद्यालय है, यहां हमें शिष्टाचार से बैठकर गुरुजनों की बात सुननी चाहिए। इतने में पीछे कुर्सी में बैठे एक सज्जन बच्चों को चुप कराने के लिए उनके बीच आने लगे तो मंत्री टोकते हुए बोले, आप वहीं बैठ जाइए, बच्चे हमारे हैं, हम बात कर लेंगे।