देहरादून : 2022 के चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं। कांग्रेस और भाजपा अपनी अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है।वहीं इस बीच कई ऐसे मिथक हैं जो सबको परेशान किए हुए हैं. क्योंकि कुछ मिथक ऐसे हैं जो की बरकरार हैं और कुछ ऐसे हैं जो सही साबित नहीं हुए। एक मिथक गंगोत्री और चंपावत सीट को लेकर भी है। कहा जाता है कि गंगोत्री और चंपावत में जिस पार्टी का विधायक बनता है उसी की पार्टी सत्ता हासिल करती है। अगर आंकड़ों को देखे तो ये सही भी साबित हुआ।
बता दें कि 2002 और 2012 में चम्पावत विधानसभा सीट पर कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल ने जीत हासिल की थी। उस समय कांग्रेस ने सत्ता हासिल की। वहीं, 2007 में इस सीट पर भाजपा की बीना माहराना और 2017 में कैलाश गहतोड़ी विजयी हुए। दोनों बार सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ में आई। पिछले चार चुनावों में गंगोत्री सीट से जीतने वाले विधायक को भी हर बार सत्ता सुख मिला।
बता दें कि कुछ महीने पहले गंगोत्री से विधायक गोपाल रावत का निधन हो गया है। इस सीट पर उपचुनाव नहीं हुए लेकिन इस सीट पर सबकी नजर है। बता दें कि इस सीट से आप से कर्नल कोठियाल चुनाव के मैदान में उतर रहे हैं।
लेकिन बता दें कि रानीखेत में चंपावत और गंगोत्री सीट के बिल्कुल उल्टे हुआ है। बता दें कि रानीखेत में 2002 और 2012 में भाजपा के अजय भट्ट ने जीत हासिल की थी लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी।वहीं 2007 और 2017 में कांग्रेस से करन माहरा ने जीत हासिल की और अजय भट्ट को हराया लेकिन सत्ता में भाजपा आई।दारी निभा रहे हैं।