उत्तराखंड में इन दिनों मंत्री मंडल विस्तार की चर्चाएं जहां जोरों पर है। वहीं भाजपा के भीतर कैबिनेट की चार खाली सीटों के लिए कई दावेदार बताएं जा रहें है। हांलाकि दावेदारों को उम्मीद है कि केवल मंत्रीमंडल में चार ही सीट नहीं भरी जानी है, बल्कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी होने के बाद चार का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
लेकिन सबसे दिलचस्प जो बात सामने आ रही है वो ये है कि कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद एससी कोटे से जो सीट खाली हुई है उस पर सबसे ज्यादा दावेदार सामने आ रहें है। या यूं कहें कि भाजपा के जितने एससी सीटों पर विधायक है सभी मंत्री पद की दावेदारी कर रहें हैं।
बागेश्वर उपचुनाव में सीट एक, दावेदार अनेक
बागेश्वर उपचुनाव को लेकर ऐसी बातें भी निकल कर सामने आ रही हैं कि भाजपा के वर्तमान में आठ एससी विधायक है। जिनमें से महिला कोटे से रेखा आर्य धामी कैबिनेट में बतौर मंत्री पद पर हैं। जबकि 7 विधायक ऐसे हैं जो एएसी कोटे से मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहें है।
ये हैं मंत्री पद की रेस में शामिल
उत्तरकाशी जिले से दुर्गेश लाल, चमोली जिले से भोपाल राम टम्टा, टिहरी जिले से शक्तिलाल शाह, देहरादून जिले से खजान दास, पौड़ी जिले से राजकुमार पोरी, पिथौरागढ़ जिले से फकीर राम टम्टा, नैनीताल जिले से सरिता आर्य एससी कोटे से मंत्री पद की दावेदार के रूप में है।
फकीरराम टम्टा तो खुद कह रहे है कि यदि कुमाउं में फिर से एससी कोटे से मंत्री पद देने पर विचार किया जाता है तो वो भी दावेदार के रूप में है और पार्टी उन्हें जिम्मेदारी देती है तो वो तैयार हैं।
भाजपा के एससी कोटे का 2017 से अब तक का गणित
एससी कोटे की बात करें तो 2017 से लेकर 2022 तक पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य भाजपा सरकार में एससी कोटे से मंत्री रहे। जबकि 2022 के बाद चंदन राम एससी कोटे से मंत्री रहे। यानी कि 2017 से अब तक भाजपा सत्ता में बनी हुई है तब से एससी कोटे की सीट कुमाऊं मंडल में ही गई है।
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार क्या पता पार्टी के भीतर सीनियरटी हो देखते हुए खजान दास को मंत्री पद की जिम्मेदारी एससी कोटे से दी जाए और गढ़वाल में एससी कोटा समाहित किया जाए।
खजान दास के नाम को लेकर चर्चाएं तेज
2017 में यशपाल आर्य के कद और सीनियरटी को देखते हुए मंत्री बनाया गया था। तो 2022 में चंदन राम दास को भी एससी कोटे से सीनियरटी को देखते हुए मंत्री बनाया गया था। ऐसे में अगर सीनियरटी आधार बनती है तो फिर खजान दास जो पूर्व में मंत्री रहे हैं उनका दावा मजबूत रहेगा।
लेकिन मंत्री पद की दावेदारी को लेकर खजान दास का कहना है कि उनकी कोई दावेदारी पार्टी के सामने मंत्री पद की नहीं है। लेकिन यदि अगर पार्टी कोई जिम्मेदारी उन्हें देती है उसके लिए वह तैयार है।
एससी सीट पर मंत्री पद की दावेदारी को लेकर यूं तो खजान दास का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। लेकिन भाजपा कई बार अपने निर्णय से चौंकाती भी है। अब देखना ये होगा कि जब भी मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो एससी कोटे से भाजपा का कौन सा विधायक मंत्री पद के लिए बाजी मारता है।