देहरादून- 16 दिसंबर का दिन वो काला दिन तो सबको याद होगा, इसी दिन कुछ दरिंदों ने मिलकर एक मासूम के साथ क्रूर से भी अधिक क्रूरता का व्यवहार किया और एक बेटी की इज्जत को तार-तार किया..जिससे पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया हिल गई थी आज निर्भया कांड की पांचवीं बरसी है, इस दिन ने एक बार फिर उसी जख्म को हरा कर दिया है।
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई दावे और वादे किए गए, लेकिन हालात आज भी जस के तस बने गुए है। निर्भया कांड के पांच साल बाद भी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले कम होने की बजाय बढ़े हैं। निर्भया की मां ने आज अपनी बेटी को याद करते हुए कहा कि मुझे लगा था कि देश के हालात बदलेंगे, लेकिन वे तो जस के तस हैं।.
देहरादून के इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर रही थी निर्भया
देहरादून के इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर रही थी। उसकी सहेलियां आज भी उसे याद कर रोती हैं। निर्भया की कहानी हर इंसान को अंदर तक झकझोरने वाली है। यहां तक कि उसका इलाज करने वाले डॉक्टर भी अंदर तक हिल गए। उस दिन निर्भया के साथ जो हुआ वह कभी किसी के साथ न हो अब इसकी बस दुआ की जा सकती है। उस हादसे के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निर्भया जिंदगी की जंग लड़ रही थी। वह इस हालत में नहीं थी कि किसी से कुछ भी कह सके। ऐसे में वह अपनी बात अपनी मां से कागज पर लिखकर बताती थी।
कागज में लिखी निर्भया ने ये बात
वह कहती थी कि मां मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैने आपसे और पापा से फिजियोथेरेपिस्ट बनकर लोगों के दुख को दूर करने का वादा किया था। लेकिन आज मुझसे अपना ही दुख बर्दाश्त नहीं हो रहा है। कहा कि मां मैं सांस भी नहीं ले पा रही हूं। जब भी मैं आंखें बंद करती हूं तो लगता है कि मैं बहुत सारे दरिंदों के बीच फंसी हूं। वो दरिंदे मेरे शरीर को नोच रहे हैं। ये मुझे बुरी तरह से रौंद डालना चाहते हैं। मैं अब अपनी आंखें बंद नहीं करना चाहती हूं, लेकिन डर के कारण नहीं कर पा रही हूं। मेरे शरीर में इतनी शक्ति नहीं है की मैं सिर उठाकर आईसीयू से बाहर खड़े अपनों को देख सकूं। मां आप मुझे छोड़कर मत जाना। अकेले में मुझे बहुत डर लगता है। मैं आपको तलाशने लगती हूं
कहा कि मां आईसीयू की सारी मशीनों से भी मुझे डर लगता है। मुझे उस ट्रेफिक सिग्नल की याद आती है जहां ये सब हुआ। अपनी मां से अपने दर्द और पीड़ा को बयां करती निर्भया बस एक ही गुहार लगाती थी कि उन्हें सजा दिला दो।
वह जीना चाहती थी। लेकिन डर उसके अंदर इस कदर घर कर गया था कि वह जीने से भी डरने लगी, और अंत में जब वह नहीं लड़ सकी तो एक ही बात कही और हमेशा के लिए सो गई। ‘मां मुझे माफ कर देना। अब मैं जिंदगी से और लड़ाई नहीं लड़ सकती।’
बेटियों की आबरू के साथ आज भी हो रहा है खिलवाड़‘
अपनी बेटी को खोने और उसके साथ हुए खौफनाक मंजर को याद करते हुए निर्भया की मां ने कहा, ‘पांच साल बाद भी लोगों के दृष्टिकोण और न्याय व्यवस्या की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं आया है। देश को निर्भया के लिए खड़ा हुआ देखा तो लगा था कि हालात बदल जाएंगे लेकिन बेटियां अब भी दरिंदों की हवस का शिकार बन रही हैं।’
निर्भया की मां ने कहा, ‘मेरी बेटी की मौत के पांच साल बाद भी उसके दोषी जिंदा है। अगर न्याय वक्त पर न मिले, तो लोगों का कानून पर से भरोसा उठने लगता है और वे डर में जीने लगते हैं। एक मजबूत कानून बनाने की जरूरत है और चाहे वो राजनीतिज्ञ हो या आम आदमी हर किसी को अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है।’