प्रदेश में बीते दिनों लेटर वायरल हुआ था। जिसके बाद प्रदेश का राजनितिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी पार्टियां इसको लेकर निशाना साध रही हैं। इस मामले में कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेटिक आपदा आ गई है।
उत्तराखंड में आ गई है ब्यूरोक्रेटिक आपदा
कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने दो पत्रों का हवाला देते हुए कहा प्रदेश में ब्यूरोक्रेटिक आपदा आ गई है। ये प्रदेश की विडंबना ही है कि शासन प्रशासन में बैठे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने अधिकार और कर्तव्यों का ही बोध नहीं है। हाल ही में दो वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पद की विश्वसनीयता का मजाक उड़ाया है।
अल्मोड़ा के जिला पंचायती राज अधिकारी का लेटर हुआ वायरल
गरिमा मेहरा दसौनी ने बताया की अल्मोड़ा जिले के जिला पंचायती राज अधिकारी द्वारा एक पत्र जारी किया गया।जिसमें किसी कार्यक्रम के लिए अपने मातहतों को आदेशित करते हुए यह कहा गया है कि उक्त कार्यक्रम की सूचना एक राजनैतिक दल विशेष के जिलाध्यक्ष को उपलब्ध कराई जानी है। जो की अचंभित और हतप्रभ करने वाला है।
अधिकारी सरकार से तनख्वाह लेते हैं या भाजपा से ?
उन्होंने कहा कि आखिर जिला पंचायती राज अधिकारी अल्मोड़ा समस्त सहायक विकास अधिकारी एवं समस्त ग्राम पंचायत अधिकारियों को अपने पत्र में ये क्यों अपेक्षा कर रहे हैं कि वह मेरा माटी मेरा देश जो कि एक सरकारी कार्यक्रम था उस कार्यक्रम की रिपोर्ट अल्मोड़ा जनपद के भाजपा जिलाध्यक्ष को उपलब्ध कराएं? दसौनी ने कहा कि जिला पंचायती राज अधिकारी अल्मोड़ा सरकार से तनख्वाह लेते है या भाजपा से?
अधिकारी दल विशेष के पी.ए की तरह कर रहे आचरण
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दूसरा गंभीर पत्र ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की के द्वारा जारी किया गया है। जिसमें वो मंत्री सतपाल महाराज का बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का भ्रमण कार्यक्रम जारी कर रहे हैं। परंतु कार्यक्रम की सूचना प्रतिलिपि भाजपा के मंडल अध्यक्षों जिला अध्यक्षों ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला अध्यक्ष किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष इत्यादि को प्रेषित करते हुए दिख रहे हैं।
दसौनी ने कहा की मंत्री पूरे प्रदेश का होता है और मंत्री और अधिकारी दोनों ही जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं ना कि एक दल विशेष के प्रति। दसौनी ने कहा ये ब्यूरोक्रेसी में पैर पसार रही अराजकता का मामला है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी दल विशेष के और व्यक्ति विशेष के पी.ए की तरह आचरण कर रहे हैं। जो की एक अधिकारी के कोड आफ कंडक्ट के विरुद्ध का मामला है।
मुख्य सचिव से की एक्शन लेने की मांग
गरिमा मेहरा दसौनी ने मुख्य सचिव से उपरोक्त दोनों ही प्रकरणों का संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से दोनों अधिकारियों पर एक्शन लेने की मांग की है। ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस तरह की चापलूसी मानसिकता से ग्रसित होकर ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति ना करें। ब्यूरोक्रेटिक डिजास्टर यानी लोकसेवक आचरण की आपदा के मामले है जिस पर तात्कालिक विमर्श की जरूरत है।