प्रदेश आए दिन शिक्षा विभाग के नए अजब गजब कारनामे सामने आते रहते हैं। एक बार एक नया कारनामा सामने आया है। जहां कल से प्रदेश में नया शिक्षा सत्र शुरू है लेकिन बच्चों के पास किताबें ही नहीं हैं। प्रदेश के 11 लाख बच्चों तक फ्री किताबें नहीं पहुंच पाई हैं।
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कल से नया सत्र लेकिन बच्चों तक नहीं पहुंची किताबें
प्रदेश के शिक्षा विभाग के कारनामे अक्सर सामने आते रहते हैं। अब ऐसा कारनामा सामने आया है जो बच्चों के भविष्य को अंधेरे में डालता नजर आ रहा है। कल से प्रदेश में नया शिक्षा सत्र शुरू है लेकिन सरकारी और अशासकीय स्कूलों के बच्चों के पास किताबें ही नहीं हैं।
प्रदेश में सरकारी और अशासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र-छात्राओं के साथ पुस्तकें देने के नाम पर मजाक किया जा रहा है। सिस्टम की सुस्ती बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है।
किताबों के नाम पर बच्चों के साथ हो रहा मजाक
एक अप्रैल से 2023-24 का शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है। लेकिन अभी तक सरकारी और अशासकीय स्कूलों के 11 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं के पास अब तक किताबें नहीं पहुंच पाई है। सरकारी और अशासकीय स्कलों के बच्चों के साथ फ्री किताबें देने के नाम पर मजाक हो रहा है।
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सिस्टम की सुस्ती की खुल रही पोल
जहां एक ओर शिक्षा विभाग शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करता नजर आता है तो वहीं दूसरी ओर बच्चों को किताबें तक नहीं मिल पा रही हैं। इसी बात से सिस्टम की सुस्ती की पोल खुल रही है। इतनी ही नहीं सिस्टम की सुस्ती का आलम तो ये है कि कक्षा एक से आठवीं तक की पाठ्य पुस्तकों के लिए एमओयू आज होगा।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य अंधकार में
किताबों के लिए एमओयू आज साइन किया जाएगा। जिसके बाद छात्रों तक किताबें पहुंचने में अभी दो से तीन महीने का समय और लगेगा। अब इस दौरान बच्चे पढ़ाई कैसे करेंगे इस बात का जवाब शिक्षा विभाग क्या देता है ये तो देखने वाली बात है।
लेकिन यहां एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि पुस्तकों के नाम पर सरकारी और अशासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र-छात्राओं के साथ मजाक किया गया है। उनके भविष्य को अंधकार में डाल दिया गया है।