देहरादून: 2022 की बिसात बिछने के बाद अब सियासी दलों में टिकट की दावेदारी को लेकर रस्साकशी का दौर शुरु हो गया है। बीजेपी और कांग्रेस में कई दावेदार अपनी दावेदारी को आगे कर चुके हैं। हालांकि दोनों ही सियासी दलों की रणनीति जिताऊ कैंडिडेट को मैदान में उतारने की है। इसके लिए दोनों ही दल उम्मीदवारों की दावेदारी को विभिन्न तरह से परखने में जुट हैं।
चुनाव का वक्त करीब आने के साथ ही दावेदारी को लेकर भी सियासी दलों में महाभारत छिड़ी हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस युवाओं और महिलाओं की भागादारी पर ज्यादा फोकस करने का दावा कर रही है, तो भाजपा ने भी दावेदारों को लेकर चयन प्रक्रिया शुरु कर दी है। दावेदारी पेश करने वाले नेताओं को जीत की कसौटी पर कसा जा रहा है।
2017 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर को देखा जाए तो कांग्रेस की तरफ से 7 महिला नेताओं को टिकट दिए गए थे। जबकि भाजपा ने युवा नेताओं पर ज्यादा भरोसा दिखाया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी कह रहे हैं कि पार्टी महिलाओं और युवाओं पर फोकस करेगी, लेकिन टिकट उसी प्रत्योशी को मिलेगा, जो जीत की गारंटी देगा।
कांग्रेस की तरफ से ये क्लीयर है कि टिकट जिताऊ प्रत्याशी को ही दिया जाएगा। फिर वो चाहे महिला हो या फिर युवा। बीजेपी-कांग्रेस दोनों सियासी दलों में उम्मीदवारी को लेकर कई दावेदार अपनी दावेदारी को आगे कर चुके हैं तो कई अपनी दावेदारी चुनाव में पक्की समझ बैठे हैं।
खास बात यह भी है कि दोनों सियासी दलों में युवा और महिला संगठन टिकटों का कोटा तय करने के लिए दबाव बना रहे हैं। दूसरी पंक्ति के नेता खुद को आगे करने की मांग कर रह हैं। फैसला दोनों पार्टियों के हाईकमान को ही लेना है कि वो किस पर अपना दांव लगाते हैं। टिकट की उम्मीद लगाए हर नेता को टिकट नहीं मिलेगा। ऐसे में दोनों ही दलों के सामने नाराज नेताओं को साधने की चुनौती भी होगी।