करन महारा के दिल्ली के दौरे के दौरान उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भगवान बद्रीनाथ के प्रसाद दिया था। जिसकी एक तस्वीर भी उन्होंने साझा की थी। जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भगवान बद्रीनाथ के प्रसाद के अपमान का आरोप लगाया है।
प्रसाद बहाना, बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
सोशल मीडिया पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बैठे-बैठे प्रसाद लेने की एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसके जरिए बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।
बीजेपी का कहना है कि बदरीनाथ धाम और केदारनाथ के प्रसाद को खरगे ने कुर्सी पर बैठे-बैठे हाथ से स्पर्श कर स्वीकार किया। जो कि देश के 120 करोड़ सनातनियों का अपमान है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश दोनों अध्यक्षों को मांगनी चाहिए माफी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा है कि बद्रीनाथ व केदानाथ का अपमान देखकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा हंसते रहे। उन्होंने कहा कि सनातनी संस्कृति के अपमान के लिए कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश दोनों अध्यक्षों को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा की सोच के दिवालियापन को दर्शाता है उनका बयान
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान के मांफी मांगने के बयान पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि ये भारतीय जनता पार्टी की सोच के दिवालियापन को दर्शाता है। कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस नेता पीएम मोदी की तरह कैमराजीवी नहीं है और ना ही वो हर एंगल की तस्वीरों के साथ प्रोपेगेंडा के लिए 10-15 कैमरामैन लेकर के चलते हैं।
कांग्रेस के मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे की तस्वीरों पर भाजपा नेता की टिप्पणी उनकी घटिया सोच और भगवान बद्री-केदार व सनातन संस्कृति को आगे रखकर अपनी कुत्सित राजनीति करने को परिलक्षित करती है।
भाजपा दे जवाब ये नहीं है क्या सनातन का अपमान ?
कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा इस बात का जवाब दे कि बाबा केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में प्रधानमंत्री मोदी अपने चार-चार कैमरामैन के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं और केदारनाथ धाम के प्रांगण में वायरल तस्वीरों के अनुसार जूते पहन कर घूमते दिखते हैं। साथ ही बाबा बाबा केदार की ओर पीठ कर जनता को संबोधित करते हैं।
तो क्या वो बाबा केदार का अपमान नहीं है। वहीं गुफा में कैमरों के आगे ध्यान करने के नाम पर ढोंग करना अपमान नहीं है। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को मंदिर के अंदर आदिवासी महिला होने के नाते प्रवेश कर पूजा करवाए जाने से रोकना सनातन संस्कृति का अपमान नहीं है।