विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोविड-19 की पहचान करनेवाले एक नई जांच से गरीब और साधारण आय वाले देशों में संक्रमण का पता लगाने की क्षमता बहुत तेजी से बढ़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जांच का की जो नई तकनीक आएगी वो बेहद तेज तो होगी ही, साथ ही काम होगी। इससे टेस्ट करने पर खर्च केवल पांच डॉलर यानी लगभग 350 रुपये है और इससे गरीब उन देशों को फायदा हो सकता है, जहां स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है और प्रयोगशालाएं भी कम हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस जांच को विकसित करने वाली कंपनी के साथ जो करार हुआ है उसके मुताबिक, कंपनी छह महीने के भीतर 12 करोड़ जांच करवा पाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस टेस्ट को ‘मील का पत्थर’ बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का कहना है कि यह नया, आसानी से ले आ-ले जा सकने वाला और इस्तेमाल में आसान टेस्ट है। यह घंटों के बजाय कुछ मिनटों में ही नतीजा दे देता है। यह नतीजा देने में सिर्फ 15 से 20 मिनट का वक्त लेता है।
दवा निर्माता कंपनी एबोट एंड एसडी बायोसेनर ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर 12 करोड़ जांच तैयार करने पर सहमति दी है। इस समझौते का फ़ायदा दुनिया के 133 देशों को होगा जिसमें लैटिन अमेरिका के भी कई देश शामिल हैं जो फिलहाल इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हैं।
डॉ. टेडरोस ने कहा कि परीक्षण के लिहाज से और ख़ासतौर पर उन इलाकों में जो बुरी तरह प्रभावित हैं, यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। इस टेस्ट से ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों की जांच हो सकेगी। यह उन इलाकों और देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा जहां परीक्षण करने के लिए प्रयोगशालाओं समेत प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है।