उत्तराखंड में वो स्थान मौजूद है जहां पर भगवान शिव और पार्वती की शादी हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में शादी करने से वैवाहिक जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आता है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित त्रिजुगीनारायण मंदिर में शादी करने से ज़िन्दगी संवर जाती है।
त्रिजुगीनारायण में शादी करने से संवर जाती है जिदंगी
उत्तराखंड में वैसे तो बहुत सारे मंदिर हैं और सब मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। उन्हीं मंदिरों में से यहां एक मंदिर ऐसा भी है जहां शादी करने से ज़िदंगी संवर जाती है। त्रिजुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। “त्रिजुगीनारायण” तीन शब्दों को मिला कर बना है ‘त्रि’ जिसका मतलब है तीन, युगी जिसका मतलब है युग और नारायण भगवान विष्णु को कहा जाता है।
शिव-पार्वती के विवाह का साक्षी है त्रिजुगीनारायण
भगवान विष्णु को समर्पित ये मंदिर शिव पार्वती के विवाह का साक्षी है। इसी जगह पर अपने आराध्य भगवान् विष्णु को साक्षी मानकर हिमालय के राजा हिमवंत ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान शंकर से कराया था। भगवान विष्णु ने भाई बनकर माता पार्वती का कन्यादान किया था। त्रिजुगीनारायण मंदिर की एक और मान्यता है कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपना पांचवा अवतार वामन अवतार इसी जगह पर लिया था। तभी से यहाँ भगवान् विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है।
त्रिजुगीनारायण मंदिर की विशेषता
त्रिजुगीनारायण मंदिर की वास्तुशैली केदारनाथ मंदिर की तरह ही है। इस मंदिर को अखंड धूनीमंदिर भी कहा जाता है। मान्यता है कि शिव पार्वती ने इस अखंड धूनी को साक्षी मान कर फेरे लिए थे। आज भी शिव पार्वती के परिणय सूत्र में बांधने की यादें इस तीन युगों से जलने वाली धूनी में जीवित हैं और इसी वजह से इस जगह को त्रियुगी कहा जाता है।
स्थानीय लोग मानते हैं कि इस धूनी की राख वैवाहिक जीवन में आने वाली सारी परेशानियों को दूर कर देती है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदिगुरु शंकराचार्य जी ने करवाया था। यहां भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की चांदी से बनी दो फुट की मूर्ति है।
मंदिर में मौजूद हैं सात कुंड
इस मंदिर में सात कुंड ब्रह्म कुंड, विष्णु कुंड, रूद्र कुंड, नारद कुंड, सूर्य कुंड, अमृत कुंड और सरस्वती कुंड मौजूद हैं। इन कुंडों का मुख्य श्रोत है कृष्णा सरोवर है। दो कुंच सूर्य कुंड और अमृत कुंड मंदिर के अंदर है जबकि बाकी पांच कुंड मंदिर के प्रांगण में हैं।
सूर्य कुंड – सूर्य कुंड से भगवान का भोग बनाया जाता है।
अमृत कुंड – अमृत कुंड से भगवान को स्नान कराया जाता है।
नारद कुंड – नारद कुंड में पित्रों को पिंड दान किया जाता है।
सरस्वती कुंड – ऐसा माना जाता है कि श्री हरि विष्णु की नाभि से इस जलकुंड का निर्माण हुआ था। इसी कुंड से बाकी कुंडों में भी जल जाता है। बता दें कि यहां पर पित्र तर्पण होता है।
ब्रह्म कुंड – मान्यता है कि शिव पार्वती का विवाह करने से पहले भगवान ब्रह्मा ने यहीं स्नान किया था। ये कुंड स्नान करने के लिए है।
विष्णु कुंड – कहा जाता है कि इस कुंड में भगवान विष्णु ने स्नान किया था। यहां आचमन किया जाता है।
रूद्र कुंड -इस कुंड को लेकर मान्यता है कि इस कुंड में विवाह में सम्मिलित होने आए सभी देवी-देवताओं ने स्नान किया था। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
त्रिजुगीनारायण का महात्म्य
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो लोग इस मंदिर में विवाह करते हैं उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आता और उनका वैवाहिक जीवन सदा के लिए सुखमय हो जाता है। इसके साथ ही जो लोग इस मंदिर के दर्शन करते हैं और यहां की पवित्र धूनी की राख अपने साथ लेकर जाते हैं उनके वैवाहिक जीवन में आई सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
बन रहा है देश में बेस्ट वेडिंग डेस्टिनेशन
त्रिजुगीनारायण मंदिर में सालों से ही जोड़े शादी रचाते आए हैं। लेकिन पहले जानकारी ना होने के कारण कम लोग ही यहां शादी के लिए आते थे। लेकिन अब ये युवाओं के लिए बेस्ट वेडिंग डेस्टिनेशन बन गया है। हाल में पीएम मोदी ने अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान उत्तराखंड में आकर डेस्टिनेशन वेडिंग करने को कहा। जिसके बाद से लोगों का उत्तराखंड में आकर शादी करने का क्रेज और भी ज्यादा बढ़ गया है।