आजकल की लाइफस्टाइल में एल्कोहल कन्ज्यूम करना आम हो गया है। ज्यादातर लोग बियर पीना पसंद करते हैं। बियर में एल्कोहल की मात्रा कम होती है। इसी बियर को लेकर एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है। स्टडी में ये बताया गया है कि बियर कैंसर से लड़ने में कारगर है। बता दें कि बियर बनाने में खमीर का इस्तेमाल किया जाता है। जो कैंसर लड़ने में कारगर साबित होता है।
बियर कैंसर से लड़न में है कारगर!
जर्मनी के EMBL रिसर्चर और वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसिन के साइंटिस्ट ने मिलकर ये खुलासा किया कि खमीर के सेल्स कैंसर से लड़ने में कारगर है। नेचर कम्युनिकेशंस’ में पब्लिश रिसर्च की माने तो एक शराब बनाने वाला खमीर स्किज़ोसैक्रोमाइसिस पोम्बे (एस. पोम्बे), सरल तरीके से हाइबरनेट कर सकते हैं।
यूवीए के आणविक फिजियोलॉजी और जैविक भौतिकी विभाग के एक शोधकर्ता डॉ. अहमद जोमा ने बताया, “इसलिए हमें भुखमरी के अनुकूलन की मूल बातें समझने की जरूरत है और यह भी कि कैसे ये कोशिकाएं जीवित रहने और मृत्यु से बचने के लिए निष्क्रिय हो जाती हैं।
कैंसर के लिए बियर यीस्ट का अध्ययन क्यों ?
काफी समय से एस. पोम्बे शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होता रहा है। ये वैज्ञानिकों के लिए भी अच्छा रहा। शराब बनाने वाले यीस्ट की इंसानों की कोशिकाओं के साथ काफी समानताएं है। जिसके चलते ये कैंसरग्रस्त दोनों कोशिकाओं में सेलुलर प्रक्रियाओं को समझने के लिए एक अच्छा उपकरण बनता है।
शोध दल ने क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और टोमोग्राफी नाम की अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसे एक शक्तिशाली 3D माइक्रोस्कोप के तौर पर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। यीस्ट कोशिकाएं जब भुखमरी झेलती है। तो वो सेलुलर बैटरियों यानी माइटोकॉन्ड्रिया को एक अप्रत्याशित लेयर में कवर कर लेती हैं।
निष्क्रिय राइबोसोम से बनी ये लेयर ज्यादातर कोशिका में प्रोटीन के उत्पादन के लिए होती है। जैसा की हम जानते ही है कि कोशिकाएं अपने राइबोसोम को बंद करने और एनर्जी बजाने का काम करेंगी। लेकिन वो माइटोकॉन्ड्रिया के ऊपर जुड़ी थी।
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई है। ये केवल सामान्य जानकारी के लिए है। कोई भी सुझाव या उसको अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।