अतीक अहमद जिसने उत्तर प्रदेश में लोगों के बीच में अपना डर बनाया और कई अपराध किए । एक मशहूर गुंडे का 15 अप्रैल की रात को अंत हो गया । अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस कमिर्यों के बीच मीडिया के सामने ऑन कैमरा तीन बदमाशों ने गोली मारी और मौत के हवाले कर दिया । लेकिन ये अतीक था कौन, कहां जन्मा , कैसे ये इतना बड़ा गुंडा बना, अपराध से लेकर राजनीति की दुनिया में अपना नाम चमकाने वाला और लोगो को डराने धमकाने वाला और मौत की नींद सुला देने वाले अतीक अहमद की वो कहानी आज हम आपको खबर उत्तराखंड में बताने जा रहे हैं जिसमें अतीक के एक तांगे वाले बेटे से लेकर, राजनीति में आने और अपराध करने के कई कहानी जुड़ी है ।
इलाहाबाद में जन्मे अतीक के पिता चलाते थे तांगा
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को इलाहाबाद में हुआ था । अतीक के पिता फिरोज अहमद अतीक की तरह बदमाश नहीं थे बल्कि वो तांगा चलाकर परिवार चलाते थे। अतीक को उन्होनें स्कूल पढ़ने भेजा लेकिन अतीक केवल 9 वीं ही पास कर पाया । 10वीं में पहुंचा तो अती अहमद फेल हो गया। इस बीच, वह इलाके के कई बदमाशों की संगत में आ गया। जल्दी अमीर बनने के लिए उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। और इस तरह अपराध करते हुए 1997 में अतीक अहमद पर हत्या का पहला मुकदमा भी दर्ज किया गया । बताया जाता है कि उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। । आम जनता, पुलिस और राजनेता हर कोई चांद बाबा से परेशान थे। ऐसे में अतीक अहमद ने इसका फायदा उठाया और पुलिस और नेताओं से सांठगांठ कर कुछ ही सालों में वह चांद बाबा से भी बड़ा बदमाश बन गया।
चांद बाबा का अंत और अतीक युग की शुरुआत
1986 की बात है जब पुलिस ने अतीक अहमद को पकड़ा तो अतीक को छोड़ने के लिए दिल्ली से ताकतवर लोगों का फोन आया । जिसके बाद अतीक ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ने की चाह रखी और वहीं 1989 में इलाहाबाद वेस्ट सीट से अतीक अहमद और चांद बाबा दोनों ने विधानसभा का चुनाव लड़ा ।लेकिन चांद बाबा हार गया और अतीक विधायक बन गया । अतीक की जीत के कुछ महीनों बाद भीड़ भरे बाजार में चांद बाबा की बेरहमी से हत्या कर दी गई । इस हत्या से जहां इलाहाबाद के पुराने गैंगस्टर चांद बाबा का अंत हुआ तो वहीं अतीक अहमद के युग की शुरुआत हो गई । बताया जाता है कि इसके बाद अतीक ने चांद बाबा के गिरोह के सभी सदस्यों को एक-एक कर मार डाला ।
अतीक का राजनीतिक सफर, कई बार जीता चुनाव
1989 में इलाहाबाद वेस्ट सीट से अतीक अहमद चुनाव जीता , फिर 1991 और 1993 में अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बना। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से पांचवीं बार विधायक बना। अतीक की दहशत ने आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक हस्तियों को भी परेशान करना शुरू कर दिया। उसका खौफ इतना हो गया था कि शहर पश्चिमी से कोई उसके खिलाफ चुनाव लड़ने से भी डरता था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सपा के टिकट पर इलाहाबाद की फूलपुर सीट से चुनाव जीत गया। उस वक्त अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक था। इस सीट से अब वह अपने छोटे भाई अशरफ को चुनाव लड़ाने की तैयारी करने लगा। हालांकि उसके भाई अशरफ को बसपा के उम्मीदवार राजू पाल ने 4000 वोटों से हरा दिया था । बताया जाता है कि उस समय राजू पाल 25 मामलों में आरोपी था । राजू पाल के हाथों अपने भाई की हार को अतीक पचा नहीं पाया ।
राजू पाल की शादी के 10 दिन बाद अतीक ने किया हमला
विधायक बनने के तीन महीने बाद 15 जनवरी 2005 में राजू पाल ने पूजा पाल से शादी की । शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 में अतीक अहमद के गिरोह के लोगों ने बसपा विधायक राजू पाल पर खुलेआम हमला किया. घायल राजू पाल के समर्थकों ने उन्हें टेंपो से अस्पताल ले जाने की कोशिश की. अतीक के शूटरों ने करीब 5 किलोमीटर तक टेंपो का पीछा किया और रास्ते भर पाल पर गोलियां चलाईं. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पाल के शरीर में 19 गोलियां लगी थीं । इसके बाद हुए उपचुनाव में बसपा ने राजू की पत्नी पूजा पाल को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह हार गईं। अशरफ चुनाव जीत गया। हालांकि, 2007 में हुए चुनाव में पूजा पाल जीत गईं।
2007 के बाद बढ़ी अतीक की मुश्किलें
2007 में सपा पार्टी के जाते ही अतीक का बुरा वक्त शुरू हो गया था । मायावती सरकार के आते ही ऑपरेशन अतीक शुरू किया गया । 20 हजार का इनाम रख कर अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित किया गया । अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं। उसके ऊपर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी भाजपा नेता अशरफ की हत्या, 2005 में राजू पाल की हत्या का आरोप है।
अतीक अहमद ने 2005 में राजू पाल की गोली मारकर हत्या की थी । उमेश पाल इस हत्या कांड के मुख्य गवाह थे । 2017 के बाद से अतीक अहमद जेल में अपनी जिंदगी बिता रहा था । जेल मे रहते हुए उसने कई बार चुनाव भी लड़ा लेकिन उसकी हार हुई । हालांकि जेल से भी वो अपना दब दबा बनाए रखता था । लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार आते ही उसकी मुश्किलें बढ़ गई । सीएम बनते ही योगी सरकार ने अतीक के खिलाफ कई मामलों की जांच करनी शुरू की । इसके बाद से लेकर अब तक अतीक की 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है।
उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 को हत्या
राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 को गोली मारकर हत्या की गई । उमेश की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, 2 बेटों, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम मोहम्मद और 9 अन्य पर केस दर्ज कराय़ा था । जिसमें उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी असद और गुलाम मोहम्मद को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया है ।
अतीक अहमद का हुआ अंत
अब शनिवार 15 अप्रैल को प्रयागराज के जिला अस्पताल के बाहर अतीक और उसके भाई अशरफ पर तीन हमलावरों ने गोली मारकर इन दोनों की हत्या कर दी ।