गढ़वाल की ऐतिहासिक रामलीला को देहरादून में पुनर्जीवित करने के लिए “श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून” द्वारा निर्णय लिया गया था। इसीलिए आज आजाद मैदान, टिहरी नगर, अजबपुर कलां, दून यूनिवर्सिटी रोड, देहरादून में हनुमान ध्वजा स्थापना की गई।
गढ़वाल की 1952 की प्राचीन रामलीला
गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी पुरानी टिहरी की 1952 से होने वाली प्राचीन रामलीला का अपने आप में बहुत बड़ा इतिहास है। इस रामलीला का 1952 से पुरानी टिहरी डूबने तक आयोजन किया जाता था। गढ़वाल की धरोहर इस रामलीला को 2023 में 21 वर्षों बाद देहरादून में पुनर्जीवित किया गया है। विभिन्न माध्यमों से रामलीला मंचन को पिछले साल रिकार्ड 10 लाख लोगों तक पहुंचने में सफलता पाई।
आज दून में हुई हनुमान ध्वजा की स्थापना
श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952 देहरादून के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा कि गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी टिहरी में 1952 से हर साल रामलीला के सफल आयोजन की कामना हेतु जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हनुमान ध्वजा का विधि विधान से स्थापना होती थी और इसी दिन से रिहर्सल का कार्य भी आरंभ होता था। इसलिए हमने भी इसी परंपरा का पालन किया है। इसके साथ ही उनका मानना है कि रामलीला से न सिर्फ इतिहास को जीवित करने का मौका मिलता है बल्कि आने वाली पीढियां के लिए मनोरंजन से अपने इतिहास और सनातन धर्म की परंपराओं के साथ जुड़ने का अवसर भी मिलता है।
शारदीय नवरात्रों में होगा रामलीला का मंचन
बता दें कि अजबपुर, देहरादून स्थित टिहरी नगर में रामलीला आने वाले शारदीय नवरात्रों में तीन अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2024 तक भव्य रूप से आयोजित की जाएगी। इस रामलीला में चौपाई, कथा,संवाद, मंचन आदि सब टिहरी की 1952 से चली आ रही प्रसिद्ध व प्राचीन रामलीला के जैसा ही होगा। जिससे टिहरी के लोगों का अपनत्व देहरादून में भी जुड़ रहे। साल 2023 में आयोजित “भव्य रामलीला” में विशेष आकर्षण के रूप में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार लेजर शो और Digital Live Telecast का प्रसारण किया गया था।