Dehradun : गजब की लूट : गामा ने बनाया ब्राह्मण, ठाकुर सभी को सफाई कर्मी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

गजब की लूट : गामा ने बनाया ब्राह्मण, ठाकुर सभी को सफाई कर्मी

Sakshi Chhamalwan
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DEHRADUN NAGAR NIGAM

देहरादून नगर निगम से एक और घोटाला सामने आया है। निगम पार्षदों ने अफसरों के साथ मिलीभगत कर मोहल्ला स्वच्छता समितियों की आड़ में लगभग कई करोड़ से भी अधिक की धनराशि का दुरुपयोग किया है। बता दें आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने ये खुलासा किया है। मामले के प्रकाश में आने के बाद निगम की मुख्य प्रशासक व डीएम सोनिका ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।

RTI एक्टिविस्ट ने किया खुलासा

निगम के 100 वार्डों में 1021 पर्यावरण मित्रों की तैनाती की गई है। इनमें से अधिकांश को फर्जी पाया गया है। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार पार्षदों ने जो पर्यावरण मित्र तैनात किए उनमें कई गड़बड़ियां हैं। विकेश नेगी ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। बता दें विकेश नेगी ने RTI के माष्यम से नगर निगम से मोहल्ला स्वच्छता समिति की नई सूची – 2019 मांगी थी।

RTI से मिली इस सूची में सभी 100 वार्डों में पार्षदों द्वारा 1021 कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इन कर्मचारियों को प्रतिदिन 500 रुपये मिलते हैं। जानकारी के मुताबिक यह राशि पार्षद के माध्यम से इन कर्मचारियों को दी जाती है। सूची में लगभग हर वार्ड में तैनात कई कर्मचारियों के नाम और पते को लेकर संशय की स्थिति है। RTI के माध्यम से उपलब्ध कराई इस सूची में बड़ी संख्या में कर्मचारियों के पते दर्ज नहीं है।

ठाकुर से लेकर ब्राह्मण तक सभी हैं सफाई कर्मचारी

देहरादून नगर निगम के 100 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड में पार्षदों ने कम से कम पांच कर्मचारी तैनात किए हैं। जबकि एक वार्ड में 20 कर्मचारी भी रखे गए हैं। इसके अलावा पांच वार्डों में 16-16 सफाई कर्मचारी रखे गए हैं। सफाई कर्मचारियों में गोदियाल, नैथानी, शर्मा, गहलोत, रावत, चौहान, गुप्ता भी शामिल हैं।

कागजों में शुभम नाम के 15 से भी अधिक पर्यावरण मित्रों को बताया गया है। जिनका पता नहीं है। एक वार्ड में दो शुभम हैं और उनका पता तीन और चार सालावाला, हाथीबड़कला दिखाया गया है। विकेश नेगी के अनुसार हर पर्यावरण मित्र को प्रतिदिन 500 रुपए दिये जाते हैं। यह राशि वार्ड पार्षद के खाते में जाती है और पार्षद ही इसका भुगतान पर्यावरण मित्र को करता है।

बिजनौर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के लोगों की कर दी तैनाती

RTI से मिली लिस्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अगर चार-पांच वार्डों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी वार्ड में संदिग्ध कर्मचारियों की तैनाती हुई है। कई पर्यावरण मित्रों का पूरा नाम और पता भी नहीं है। कई पार्षदों ने ऋषिकेश, ऊधमसिंह नगर, रुड़की के अलावा उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और आजमगढ़ के कर्मचारियों को भी अपनी टीम में शामिल किया है।

देहरादून नगर निगम का कार्यकाल खत्म होने के बाद देहरादून की जिलाधिकारी बतौर प्रशासक नगर निगम का कामकाज देख रहीं है। डीएम सोनिका के आदेश पर पर्यावरण मित्रों का भौतिक सत्यापन कराया गया तो अधिकांश कर्मचारियों का कोई पता नहीं चला। तब जाकर इस राज पर से पर्दा उठा

वित्तीय अनुमति को लेकर उठे सवाल

एडवोकेट विकेश नेगी के मुताबिक ये पैसा निगम से सीधे पार्षद के बैंक खाते में जाता है। उन्होंने सवाल किया कि इस तरह की व्यवस्था को वित्तीय अनुमति कैसे प्रदान की गई ? नियमों के तहत काम करने वाले कर्मचारी को ही वेतन का सीधे भुगतान किया जाना चाहिए ना कि पार्षदों के माध्यम से। उन्होंने कहा कि एक वार्ड से औसतन 10 पर्यावरण मित्रों की तैनाती की गई है। इस आधार पर औसतन एक पार्षद को हर महीने एक लाख रुपए मिले।

पिछले पांच साल में इस आधार पर लगभग 60 करोड़ रुपये मोहल्ला सुधार समितियों के नाम पर खर्च कर दिए गए। इससे निगम की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। एडवोकेट नेगी के अनुसार स्वच्छता समिति के कर्मचारियों की जो सूची उन्हें आरटीआई के तहत उपलब्ध कराई गई थी उसे भी बदलने के आरोप हैं। उन्होंने कहा कि ये भी वित्तीय अनियमितता है इसकी भी जांच की जाएं।

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Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।