हल्द्वानी के जीतपुर नेगी गांव के चार हजार मतदाताओं ने एक साथ लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का एलान कर दिया है, ग्रामीणों ने जिले के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही को चुनाव बहिष्कार की वजह बताया है। जिससे इसका खामियाजा दोनों दिग्गज पार्टियों के प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है.
लोगों ने लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में भाग नहीं लेने का लिया निर्णय
11 अप्रैल को उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है, लेकिन हल्द्वानी स्थित जीतपुर नेगी गांव के ग्रामीणों ने लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। जीतपुर नेगी के ये ग्रामीण चुनाव बहिष्कार की बात कर रहे हैं ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि नैनीताल जिले के जिम्मेदार अधिकारियों और कुछ राजनीतिक जनप्रतिनिधियों की लापरवाही की वजह से उनके गांव का अस्तित्व समाप्त हो गया है.
ये है आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले वर्ष हुए परिसीमन में उनका गांव ग्राम पंचायत से नगर निगम में शामिल हुआ और नगर निगम के द्वारा दोबारा से परिसीमन किये जाने पर उनके गांव को नगर निगम से भी हटा दिया गया और उनके गांव को वापस ग्राम पंचायत में भी नहीं जोड़ा गया। लिहाजा अब यहां के ग्रामीण न तो नगर निगम के मतदाता रहे और ना ही ग्राम पंचायत के।
ग्रामीणों ने लगाया अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप
इससे पूर्व सारी सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे ग्रामीणों को अधिकारियों की लापरवाही की वजह से न तो अब सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है और न हीं अब वो ग्राम पंचायत या नगर निगम के चुनाव में मतदान कर सकते हैं, ग्रामीणों की माने तो अधिकारियों की लापरवाही ने उनसे उनका मूलभूत अधिकार छीन लिया है, तो ऐसे में अब लोकसभा चुनाव में नेता उनसे वोट मांगने आ रहे हैं जबकि उनका मूल अधिकार ही खत्म किया जा चुका है, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनको ग्राम पंचायत या नगर निगम में शामिल नहीं किया जाता तब तक वो हर चुनाव का बहिष्कार करेंगे लगभग चार हजार आबादी वाले इस गांव में अधिकारियों ने क्यों ऐसी गलती कि इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सीएम ने कही अधिकारियों पर कार्रवाई की बात
उधर यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान तक पहुंचा तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रामीणों की जायज मांग की वकालत करते हुए अधिकारियों पर कार्रवाई की बात भी कही।
लोकसभा चुनाव में चुनाव बहिष्कार का यह कोई पहला मामला नहीं है सरकारी सिस्टम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते भी कई अन्य गांव इसी तरह चुनाव बहिष्कार का मन बना चुके हैं।