देहरादून- उत्तराखंड इन दिनों आग की चपेट में है जिससे कई मावेशियों की जान गई तो कई लोगों और करीबन 650 बच्चों की जान बाल-बाल बची. ये आग इस कदर फैल रही है कि स्कूलों में बच्चों का पढ़ना तक मुहाल हो रखा है औऱ तो औऱ लोग घर के अंदर डर-दुबक कर रह रहे है. घर को सबसे सुरक्षित स्थान जगह माना जाता है और हर किसी को घर जाकर ही सुकून मिलता है लेकिन इन दिनों उत्तराखंड के गांवों और उसके आस-पास भय का माहौल है. लोग अपने ही घरों में सहमे-सहमे हैं. उन्हे डर है कि जंगल की आग उनके घर तक न पहुंच जाए. लेकिन इसकी कानों-कान खबर किसी मंत्री-विधायक औऱ खुद सीएम को भी नहीं थी. हर कोई अपने परिवार और बच्चों से प्यार करता है और उन्हे सुरक्षित रखना चाहता. राज्य की जिम्मेदारी विभागी अधिकारियों औऱ मंत्रियों के हाथ में है लेकिन सब के सब गहरी नींद में हैं. इन्हे पता ही नहीं की कबसे जंगल सुलग रहे है औऱ कितने लोगों की जान पर बन आई है.
आपदा प्रबंधन तंत्र का इस्तेमाल करे न की सिर्फ वन विभाग पर निर्भर रहे-सीएम
जी हां मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में प्रदेश में वानाग्नि की घटनाओं की स्थिति एवं उनकी रोकथाम के लिए किए जा रहे इंतज़ामों की समीक्षा की. लेकिन इस दौरान सीएम अधिकारियो की तैयारियों से आग बबूला हो उठे. सीएम ने वीडियो कोंफ्रेंसिंग के जरिए जिलाधिकारियों से भी बात की, सीएम ने जिलाधिकारियों को कहा कि जिलों में लग रही आग के लिए वह आपदा प्रबंधन तंत्र का इस्तेमाल करे न की सिर्फ वन विभाग पर निर्भर रहे. साथ ही सीएम ने इससे निपटने के लिए स्थानीय लोगों को इसमें शामिल करने का आदेश दिया. सीएम ने सभी जिलाधिकारियों को कहा कि डीएम व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदारी लें और पुलिस और अन्य विभागों को जोड़े ताकि जल्द इस पर काबू पाया जा सके.
एक तरफ धधक रही जंगल में आग तो दूसरी तरफ सीएम साहब आग बबूला
एक तरफ जहां उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कारण तापमान बढ़ा ठीक उसी तरह लापरवाही बरतने पर सीएम साहब का गुस्सा भी सातवे आसमान पर पहुंच गया. सीएम साहब वन विभाग पर बिफ़र पड़े और वन विभाग के अधिकारियों से सवाल किया की विभाग ने जंगलों में लगी आग से निपटने के लिए क्या तैयारी की थी कि आग इस क़दर बढ़ी. साथ ही सीएम ने जिलाधिकारियों को आग से लड़ने के लिए दी गयी धनराशि जनपदों को पूरी जारी की जाने के आदेश दिए. आपको बता दें जनपदों को जारी धनराशि 12 करोड़ 37 लाख का है प्रावधान.
मैं डीएम से पूछूंगा आग कैसे लगी- सीएम
सीएम ने कहा कि वह जिलाधिकारी से पूछेंगे की जंगलों में आग क्यों औऱ कैसे लगी. साथ ही ये भी कहा कि इसकी जवाबदेह DM होंगे.
कुमाऊं और गढ़वाल में कई जगहों पर जंगल धधकते रहे, स्कूल बंद
कुमाऊं और गढ़वाल में कई जगहों पर जंगल धधकते रहे है। जंगलों में लगी आग से तपिश बढ़ गई है। उत्तराखंज की काफी वन संपदा राख हो गई है, कई जानवर राख बन गए,तस्वीर डरावनी है. चंपावत, पौड़ी, हरिद्वार,अल्मोड़ा, उत्तरकाशी की हालत बेहद चिंताजनक है. पौड़ी के केंद्रीय विधालय में अवकाश भी घोषित कर दिया गया तो आप समझ सकते हैं इस वक्त की तस्वीर पहाड़ी क्षेत्रों की क्या है.
पुलिस बुझाएगी आग तो वन विभाग क्या खाक छानेगा सीएम सर
समीक्षा की बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जिलाधिकारियों को कहा कि वे आग से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन का इस्तेमाल करे औऱ वन विभाग के भरोसे न रहे. हर विभाग की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने-अपने विभाग को सम्भाले औऱ अपने-अपने स्तर से लोगों की समस्याओं का समाधान करे.ऐसे में सीएम साहब का जिलाधिकारियो को ऐसे आदेश हास्यास्पद है.
आप जैसे वीआईपी लोगों की सुरक्षा कौन करेगा मुख्यमंत्री जी, वन मंत्री का क्या काम?
अगर पुलिस आग बुझाने का काम करेंगी तो ट्रेफिक, जनता, अपराध औऱ आप जैसे वीआईपी लोगों की सुरक्षा कौन करेगा बताएंगे आप. वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी औऱ मंत्री सिर्फ आराम फरमाने के लिए, क्या वन विभाग के अधिकारी और मंत्री हरक सिंह रावत सिर्फ मोटी सैलरी के रखे गए हैं विभाग में. मुख्यमंत्री जी कहते है कि वन विभाग पर निर्भर न रहकर पुलिस औऱ स्थानीय जनता की सहायता लें. तो ऐसे में तो वन विभाग को हटा देना चाहिए. जिससे कई गुना पैसा बचेगा और वह पैसा कहीं औऱ काम आएगा.
मंत्री-विधायक और वन विभाग के अधिकारी क्या गहरी नींद में????
एक तरफ जहां पूरा उत्तराखंड आग की चपेट में है ऐसे में क्या वन विभाग के मंत्री-विधायकों को क्या इसकी जानकारी नहीं रही होगी. जनता ने उनको इसलिए चुना ताकि उनकी समस्या का समाधान समय पर हो सके इसलिए नहीं की जनता को डर के कारण घरों में दुबक कर रहने को मजबूर होना पड़े या स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई करने से डर लगने लगे.
लगता है जब तक आग उनके चौखट तक नहीं पहुंचती तब तक नहीं होंगे सचेत
लगता है मंत्री-विधायक गहरी नींद में है औऱ जब तक उनके आंगन तक नहीं आती तब तक वह सचेत नहीं होंगे. अपने परिवार और अपने बच्चों से सभी प्यार करते हैं चाहे वह जानवर ही क्यों न हो. एक चिड़िया भी अपने बच्चों के लिए खाना चुग कर लाती है. ऐसे में आप में से किसी ने बेबोल जानवरों के बारे में नहीं सोचा. कितनी दर्दनाक स्थिति रही होगी जब जानवर जिंदा जले होंगे औऱ उनकी चीऱ पुकार सुनने के लिए कोई भी मौजूद नहीं रहा होगा.
हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने की इनाम की घोषणा, बाकी बंद कमरों में एसी में बैठे रहे
वहीं हरिद्वार के डीएम दीपक रावत ने आग की सटीक सूचना देने पर 10 हजार इनाम देने की घोषणा की है. इसमें सोचने वाली बात ये है कि क्या वन विभाग के अधिकारी या कर्मचारी का काम नहीं है इसका जायजा लेने या स्थिति को देखना. क्या वह आराम फरमाने के लिए बंद कमरों औऱ एसी में बैठने के लिए हैं.
पिछली बार इसे बुझाने के लिए हेलीकॉप्टरों का लिया गया था सहारा
गौर हो कि इससे पहले भी उत्तराखंड आग की इस भयंकर स्थिति से गुजर चुका है औऱ पिछली बार इसे बुझाने के लिए हेलीकॉप्टरों का सहारा लिया गया था.
पहले से क्यों नहीं थे वन विभाग औऱ अधिकारी सतेच या अनहोनी का कर रहे थे इंतेजार
गौरतलब हो कि इससे पहले भी राज्य में ऐसी स्थिती से गुजर चुका है इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारियों और मंत्री विधायक सोते रहे. इस स्थिति से निपटने के लिए पहले से कोई पुख्ता इंचेजाम क्यों नहीं किए गए. ये बड़ा सवाल है. जब तक कोई अनहोनी नहीं हो जाती या किसी की जान नहीं चली जाती तब तक शासन-प्रशासन नींद में रहते है.