देहरादून- नामचीन कवि पॉश ने यूं ही नहीं लिखा होगा कि, “बहुत खतरनाक होता है सपनों का मर जाना” बीते रोज राज्य के बेरोजगार रोजगार की मांग करते हुए सरकार की खिलाफत करते हुए देहरादून की सड़कों पर उतरे तो आज निजी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की तालीम लेने वाले छात्र-छात्राएं फीस बढ़ाने के फैसले के खिलाफ लामबद्ध हो गए।
उत्तराखंड सरकार ने सूबे के निजी मेडिकल कॉलेजों के फीस तय करने की छूट क्या दी कॉलेज प्रबंधन की बांछें खिल गई। कॉलेज प्रबंधन ने सरकार की शह पर अभिभावकों की गर्दन हलाल करने के लिए बिना धार के उस्तरे निकाल लिए। लेकिन सरकार की इस छूट और कॉलेज प्रबंधन के इस रवैए के खिलाफ छात्र- छात्राओं ने मोर्चा खोल लिया है।
आज देहरादून में एसजीआरआर कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने कॉलेज के सामने प्रदर्शन किया और सरकार समेत कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ ताल ठोकी। मेडिकल कोर्स में दाखिल छात्र-छात्राओं का आरोप है कि निजी स्कूलों छात्र छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए हैं और फीस वसूली के लिए अपनी मनमर्जी पर उतर आए हैं।
पहले मेडिकल कोर्स की फीस 7 से 8 लाख रूपए सालाना थी अब उसको बढ़ाकर 19 से 24 लाख रुपए तक कर दिया गया है। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों के छात्र-छात्राओँ पर कहर टूट गया है। उनका डॉक्टर बनने का ख्वाब टूट गया है।
डॉक्टरी की तालीम ले रहे छात्र-छात्राओँ का कहना है कि अगर सरकार निजी कॉलेजों को फीस बढ़ाने की छूट दे सकती है तो मिडिल क्लास फेमिली की आमदनी भी सरकार को बढ़ानी चाहिए ताकि सभी के सपने जिंदा रहें।