टिहरी-पूरे देश में गौ रक्षा और गौ सेवा की बात हो रही है। इधर देवभूमि उत्तराखंड में रिवर्स पलायन और स्वरोजगार की बात भी जोर-शोर से हो रही है। लेकिन हकीकत कुछ हट कर है। स्वरोजगार शुरू कर चुके युवा बैंकों पर असहयोग भरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए आत्मदाह की बात कर रहे हैं।
चमियाला के युवा गौतम नेगी की माने तो बैंकों के अड़ियल रवैए और स्वरोजगार को हल्के में लेने के चलते सूबे में आम युवा कभी व्यवसायी नहीं बन सकता।
दरअसल पहले विदेश में होटल में नौकरी करने वाले गौतम नेगी ने रिवर्स पलायन करते हुए घर वापसी की और डेयरी उद्योग शुरू कर दिया।
शुरूआत में रिवर्स पलायन करने वाले गौतम को उम्मीद थी कि स्वरोजगार के लिए बैंक भी उसकी मदद करेंगे। लेकिन उसका अंदाजा गलत निकला, नियम कानूनों की औपारिकताओं में गौतम ऐसा उलझा कि उसकी अच्छी नस्ल की गायों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई। बावजूद इसके बैंकों का दिल नहीं पसीजा।
गौतम की माने तो अपनी जमीन जायदाद बैंक में बंधक देने के लिए वो तैयार है लेकिन बैंक है कि उसे उसकी जरूरत का लोन नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उसकी गायों के सामने भूखमरी की नौबत आ गई है। ऐसे में गायों को भूख से बिलखता देख गौतम ने अपनी अच्छी नस्ल हजारों रुपयों से खरीदी गायें सड़क पर बांध दी। गौतम का कहना है कि गायें उसके खूंटे पर भूख से मरें इससे बेहतर है कि वो खुद ही आत्मदाह कर ले।
उधर जिलाधिकारी टिहरी तक khabaruttarakhand.com ने गौतम नेगी के उठाए इस कदम की खबर पहुंचायी जिस पर जिलाधिकारी सोनिका सिंह ने फौरन एसडीएम घनसाली को गौतम नेगी के मामले को जांचने के निर्देश दिए हैं।
वहीं जिलाधिकारी सोनिका सिंह ने khabaruttarakhand.com को बताया कि गौतम को पहले कोपरेटिव से एक लाख का ऋण दिलवाया गया है। हालांकि अभी अगर गौतम को और जरूरत है तो बैंकों से बात की जाएगी और इस बात की भी जांच की जाएगी कि आखिर किस वजह से बैंक ऋण देने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।