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बढ़ गया भारत का विदेशी कर्ज, हर व्यक्ति पर ₹44000 से ज्यादा का External Debt, RBI ने जारी किए आंकड़े

Uma Kothari
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India External Debt: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से ताजा आंकड़े शेयर किए गए है। जिसमें बताया गया है भारत का विदेशी कर्ज बढ गया है। जून 2025 तक भारत का विदेशी कर्ज बढ़कर 747.2 अरब डॉलर हो गया है। ये इसी साल मार्च महीने के अंत में दर्ज किए गए 736 अरब डॉलर से करीब 11.2 अरब डॉलर ज्यादा है।

भारत की जनसंख्या करीब 140 करोड़ है। ऐसे में हर व्यक्ति पर करीब ₹44,772 रुपए का विदेशी कर्ज है। हालांकि GDP के मुकाबले कर्ज का अनुपात बहुत हल्का सा घटा है। ये मार्च में 19.1 प्रतिशत से घटकर 18.9 प्रतिशत हुआ है।

बढ़ गया भारत का विदेशी कर्ज India External Debt

RBI ने कहा कि रुपए की गिरावट और बाकी करेंसी जैसे अमेरिकी डॉलर, येन, यूरो और एसडीआर के मूल्यांकन प्रभाव की वजह से विदेशी कर्ज में 5.1 अरब डॉलर की कमी आई है। अगर इसको अलग भी रखा जाए तब भी विदेशी कर्ज में मार्च से जून के बीच 6.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई। तो वहीं असल में ये 11.2 अरब डॉलर दिख रहा है।

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दीर्घकालिक और अल्पकालिक कर्ज का ब्योरा

जून 2025 के आखिर तक दीर्घकालिक कर्ज यानी कि एक वर्ष से अधिक अवधि का कर्ज 611.7 अरब डॉलर रहा। मार्च से इसकी तुलना करें तो ये 10.3 अरब डॉलर ज्यादा है। इसके साथ ही अल्पकालिक कर्ज यानी कि एक वर्ष तक की अवधि वाला कर्ज टोटल विदेशी कर्ज का का 18.1 प्रतिशत रहा। मार्च में ये 18.3 प्रतिशत था। विदेशी मुद्रा भंडार में अल्पकालिक कर्ज का अनुपात भी घट गया है। ये मार्च में 20.1 प्रतिशत था। जो कि अब 19.4 प्रतिशत पर आ गया है।

कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा डॉलर का

भारत के विदेशी कर्ज़ में सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर का है, जो करीब 53.8% है। इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय रुपये में है। जो कि करीब 30.6% है। वहीं जापानी येन में 6.6%, एसडीआर (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) में 4.6% और यूरो में 3.5% कर्ज़ लिया गया है।

इन सेक्टरों पर है सबसे ज्यादा बोझ

भारत के कुल विदेशी कर्ज़ में सबसे ज़्यादा हिस्सा गैर-वित्तीय कंपनियों का है, जो कि करीब 35.9% है। इसके बाद सेंट्रल बैंक को छोड़कर जमा लेने वाली संस्थाएं सरकार और दूसरी वित्तीय संस्थाएं आती हैं।

अगर कर्ज़ की किस्मों को देखें तो इसमें से 34.8% लोन, 23% मुद्रा और जमा, 17.7% व्यापार ऋण और अग्रिम और 16.8% ऋण प्रतिभूतियों (debt securities) के रूप में है। जून 2025 के अंत तक भारत को कर्ज़ और उस पर ब्याज चुकाने के लिए अपनी कुल कमाई (चालू प्राप्तियां) का 6.6% खर्च करना पड़ा, जो मार्च में भी इतना ही था।

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